भारतेन्दु ग्रन्थावली खंड-२ | Bharatendu Granthavali Khand-2

By: श्री हरिश्चन्द्र - Shri Harishchandra
भारतेन्दु ग्रन्थावली खंड-२ | Bharatendu Granthavali Khand-2 by


दो शब्द :

इस पाठ का सारांश इस प्रकार है: यह ग्रंथ भक्त-सर्वस्व का एक हिस्सा है जिसमें श्रीचरण के चिह्नों का वर्णन किया गया है। लेखक ने इस ग्रंथ को प्रेम-भाव में रंगे हुए वैष्णवों के आनंद के लिए लिखा है, न कि काव्य के गुणों को प्रदर्शित करने के लिए। इसमें भक्तों के लिए श्री भागवत के अनुसार कई भावों का समावेश किया गया है, जिससे भागवत जानने वालों को विशेष आनंद मिलेगा। लेखक ने अपने विचारों को सरल और भक्तिपूर्ण भाषा में प्रस्तुत किया है। इसमें कई दोहे और वर्णनात्मक भाव हैं जो भक्तों के हृदय को छूने का प्रयास करते हैं। विभिन्न चिह्नों जैसे स्वस्तिक, रथ, शंख, शक्ति, सिंहासन आदि का विवरण दिया गया है और प्रत्येक चिह्न के पीछे का भावार्थ स्पष्ट किया गया है। इस ग्रंथ में प्रेम और भक्ति की गहराई को समझाने का प्रयास किया गया है, ताकि पाठक श्रीकृष्ण और राधा के प्रति अपनी श्रद्धा और प्रेम को और अधिक गहरा कर सकें। यह पाठ भक्तों को प्रेरित करने और उनके हृदय में भगवान के प्रति भक्ति की भावना को जगाने के लिए लिखा गया है। इस प्रकार, यह ग्रंथ भक्ति और प्रेम का एक अनमोल स्रोत है जो भक्तों के लिए मार्गदर्शन प्रदान करता है।


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