आद्यात्मा रोगों की चिकित्सा | Adyatma Rogon Ki Chikitsa

- श्रेणी: Health and Wellness | स्वास्थ्य Vedanta and Spirituality | वेदांत और आध्यात्मिकता
- लेखक: अज्ञात - Unknown
- पृष्ठ : 186
- साइज: 2 MB
- वर्ष: 1956
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दो शब्द :
इस पाठ में लेखक ने बच्चों के शिक्षण और चरित्र निर्माण के महत्व पर चर्चा की है। उन्होंने बताया है कि शिक्षा का मुख्य उद्देश्य चरित्र का निर्माण करना है, क्योंकि छोटे उम्र में बने चरित्र को बड़े होने पर बदलना बहुत कठिन होता है। इसलिए माता-पिता और शिक्षकों का कर्तव्य है कि वे बच्चों के चरित्र पर ध्यान दें। लेखक ने अपने अनुभव साझा करते हुए कहा है कि शारीरिक रोगों की चिकित्सा के लिए वे पुस्तकालय से जानकारी प्राप्त करते हैं, जबकि चरित्र संबंधी समस्याओं के समाधान के लिए उन्हें कई स्मृतियों और नीतिशास्त्रों की मदद लेनी पड़ती है। उन्होंने यह महसूस किया कि यदि आध्यात्मिक रोगों के लिए एक चिकित्साशास्त्र बनाया जाए, तो यह बहुत उपयोगी होगा। इस भावना से उन्होंने एक ग्रंथ की रूपरेखा तैयार की है, जिसे वे पाठकों के सामने प्रस्तुत कर रहे हैं। लेखक ने ग्रंथ में शास्त्रीय और व्यावहारिक दोनों दृष्टिकोणों को शामिल करने का प्रयास किया है, ताकि पाठक आसानी से समझ सकें। उन्होंने लिखा है कि भाषा साधारण होनी चाहिए ताकि वह सीधे पाठकों के दिल तक पहुंच सके। पाठ का उद्देश्य माता-पिता, शिक्षकों और समाज के लिए सहायक होना है। इस पाठ के प्रमुख विषयों में आध्यात्मिक रोगों की पहचान, उनके कारण, और चिकित्सा के उपाय शामिल हैं। लेखक ने यह भी बताया है कि आध्यात्मिक रोगों का उपचार संभव है, अगर सही दृष्टिकोण और साधनों का उपयोग किया जाए। अंत में, उन्होंने पाठकों को यह विश्वास दिलाया है कि आध्यात्मिक चिकित्सा एक महत्वपूर्ण विषय है, जिस पर और गहराई से विचार करने की आवश्यकता है।
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