जहाज का पंछी | Jahaz Ka Panchi

- श्रेणी: उपन्यास / Upnyas-Novel भारत / India
- लेखक: इलाचन्द्र जोशी - Elachandra Joshi
- पृष्ठ : 373
- साइज: 94 MB
- वर्ष: 1959
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दो शब्द :
इस पाठ में लेखक अपने जीवन की कठिनाइयों और विपरीत परिस्थितियों का वर्णन करते हैं। वे कलकत्ता की महानगरी में अपनी स्थितियों का सामना करते हुए आत्म-प्रतिबिंबित होते हैं। लेखक बताते हैं कि वे किसी विशेष कारण से नहीं, बल्कि विवशता के कारण इस शहर में आए हैं। उनके जीवन का यह वक्त अत्यंत कठिन है, जहाँ उन्हें न सिर्फ भौतिक सुविधाओं की कमी का सामना करना पड़ रहा है, बल्कि मानसिक और भावनात्मक तनाव भी झेलना पड़ रहा है। वे पार्क में बिताए गए समय का उल्लेख करते हैं, जहाँ वे अन्य लोगों के बीच अपनी स्थिति को लेकर असहज महसूस करते हैं। उन्हें अपने अस्तित्व की चिंता है और वे दूसरों की नजरों में गिरते हुए महसूस करते हैं। लेखक की मानसिक स्थिति भी कमजोर है, जिससे वे अपनी परेशानी साझा करने में असमर्थ होते हैं। इस दौरान, वे पार्क में बैठे अन्य लोगों के संवादों को सुनते हैं, जो विश्व राजनीति और स्वतंत्रता के विषयों पर चर्चा कर रहे हैं। यह संवाद लेखक को उनकी खुद की चिंताओं से कुछ समय के लिए भटका देता है, लेकिन फिर भी उन्हें अपने अतीत और वर्तमान की गहनता से गुजरना पड़ता है। लेखक की यह यात्रा केवल भौतिक अस्तित्व की नहीं है, बल्कि यह एक आंतरिक खोज भी है, जहाँ वे अपने मन की गहराइयों में जाकर अपने अस्तित्व के अर्थ को समझने की कोशिश कर रहे हैं। यह पाठ जीवन के जटिल पहलुओं को उजागर करता है, जिसमें सामाजिक, आर्थिक और मानसिक संघर्ष शामिल हैं।
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