खंजन नयन | Khanzan Nayan

By: अमृतलाल नागर - Amritlal Nagar
खंजन नयन | Khanzan Nayan by


दो शब्द :

इस पाठ में सूरदास की जन्मभूमि और उनकी दृष्टि संबंधी कई विचारों और जानकारी का संग्रह प्रस्तुत किया गया है। लेखक ने विभिन्न विद्वानों और ग्रंथों का उल्लेख करते हुए बताया है कि सूरदास की जन्मभूमि पर विभिन्न मत हैं, जिसमें गोवर्धन, परासौली और अन्य स्थान शामिल हैं। कई विद्वानों ने इस विषय पर अपनी राय दी है, लेकिन अभी तक कोई एक निश्चित स्थान नहीं तय हो पाया है। लेखक ने सूरदास की दृष्टिहीनता के बारे में भी चर्चा की है, और यह स्पष्ट किया है कि सूरदास के अंधेपन के बारे में भी कई मत हैं। कुछ विद्वान मानते हैं कि वह जन्म से अंधे थे, जबकि अन्य का मानना है कि वह किसी समय तक देख सकते थे। लेखक ने अपनी अध्ययन यात्रा में कई ग्रंथों और विद्वानों की सहायता का उल्लेख किया है, जिससे उन्होंने इस उपन्यास की रचना में मदद प्राप्त की। इसके अलावा, पाठ में मथुरा की सामाजिक स्थिति और वहां के त्योहारों का भी वर्णन किया गया है। मथुरा में त्योहारों के दौरान लोगों के बीच तनाव और हिंसा की स्थिति को दर्शाया गया है, जिसमें धर्म के नाम पर बदला लेने की प्रवृत्ति भी सामने आई है। पाठ के अंत में, लेखक ने अपने लेखन के अनुभव और उस प्रक्रिया के दौरान मिली सहायता का भी उल्लेख किया है, जिससे यह स्पष्ट होता है कि यह रचना एक गहन अध्ययन और शोध का परिणाम है।


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