ऋग्वेद हिंदी भाष्य | Rigveda Hindi Bhashy

By: दयानंद सरस्वती - Dayanand Saraswati


दो शब्द :

इस पाठ में आर्यसमाज की स्थापना और वेदों के महत्व पर चर्चा की गई है। आर्यसमाज के संस्थापक महर्षि दयानंद सरस्वती ने वेदों को मानवता के लिए ज्ञान और मार्गदर्शन का प्रमुख स्रोत माना। वेदों को सत्य और ज्ञान का अनंत स्रोत कहा गया है, जिसे परमात्मा द्वारा मानव के कल्याण के लिए प्रकट किया गया। पाठ में यह भी बताया गया है कि आर्यसमाज की स्थापना को 100 वर्ष पूरे होने के अवसर पर चारों वेदों का हिंदी में भाष्य प्रकाशित करने का निर्णय लिया गया है, ताकि वेदों का ज्ञान अधिक से अधिक लोगों तक पहुँच सके। महर्षि दयानंद ने वेदों के अध्ययन और प्रचार को अत्यंत महत्वपूर्ण बताया, क्योंकि उनका मानना था कि वेदों का प्रकाश समाज में शांति और कल्याण लाने में सहायक होगा। पाठ में ऋषि दयानंद की ज्ञान की गहराई और उनकी विचारधारा का उल्लेख करते हुए बताया गया है कि उन्होंने वेदों के विभिन्न पहलुओं को समझाने के लिए कई ग्रंथों की रचना की। इसके साथ ही, पाठ में वेदों की विशेषताओं की चर्चा की गई है, जैसे कि वेद ईश्वरीय ज्ञान हैं, इनमें सभी सत्य विद्या निहित हैं, और वे स्वतः प्रमाणित हैं। यह भी बताया गया कि वेदों का अध्ययन करते समय व्याकरण का ज्ञान आवश्यक है, क्योंकि वेदों के मंत्रों का अर्थ और उनका सही उपयोग समझने के लिए व्याकरण की जानकारी होना जरूरी है। अंत में, पाठ में यह भी स्पष्ट किया गया है कि वेदों का ज्ञान केवल मानव निर्मित नहीं है, बल्कि यह परमेश्वर की प्रेरणा से प्राप्त हुआ है, जो कि अनंत और शाश्वत है। इस प्रकार, पाठ वेदों के महत्व और उनके अध्ययन के प्रति जागरूकता बढ़ाने का प्रयास करता है।


Please share your views, complaints, requests, or suggestions in the comment box below.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *