रेवातट | Reva that

By: चंद बरदाई - Chand Bardai
रेवातट | Reva that by


दो शब्द :

इस पाठ में "सेठ केशवदेव सेकसरिया-स्मारक-प्रन्थमाला" के अंतर्गत डॉ. विपिन विहारी त्रिवेदी द्वारा रचित एक ग्रंथ का परिचय दिया गया है। इस ग्रंथ का मुख्य उद्देश्य 'प्रथ्वीराज रासो' का अध्ययन करना है, जिसमें चंद वरदाई का काव्य और उसके ऐतिहासिक संदर्भों का विश्लेषण किया गया है। पाठ में यह बताया गया है कि कैसे इस ग्रंथ के माध्यम से रासो की भाषा, ऐतिहासिक पृष्ठभूमि, और काव्य की विशेषताओं पर गहन विचार किया गया है। लेखक ने उल्लेख किया है कि रासो की भाषा की कठिनाइयों को दूर करने के लिए डॉ. त्रिवेदी ने शब्दों के विकास क्रम को स्पष्ट किया है, जिससे पाठक बिना किसी सहायता के ग्रंथ को समझ सकें। इसके अलावा, रासो के ऐतिहासिक प्रमाणों और उनके संदर्भों पर भी विस्तृत चर्चा की गई है, जिसमें प्राचीन ग्रंथों का सहारा लिया गया है। डॉ. त्रिवेदी ने रासो के महाकाव्यत्व, साहित्यिक विशेषताओं, और पिंगल-शास्त्र पर भी विचार किया है। उन्होंने यह भी बताया है कि रासो का वैज्ञानिक अध्ययन पाश्चात्य विद्वानों द्वारा शुरू किया गया था, और इस दिशा में उनके योगदान की सराहना की गई है। पाठ में यह भी बताया गया है कि यह ग्रंथ हिन्दी साहित्य में एक महत्वपूर्ण कार्य है, जिसे साहित्य प्रेमियों द्वारा सराहा जाएगा। अंत में, डॉ. दीनदयालु गुप्त द्वारा इस पुस्तक की प्रशंसा की गई है और इसे केशवदेव सेकसरिया के स्मारक के रूप में प्रस्तुत किया गया है।


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