कुमारसम्भव | Kumar sambhav

By: कालिदास - Kalidas
कुमारसम्भव  | Kumar sambhav by


दो शब्द :

संस्कृत साहित्य में महाकवि कालिदास का स्थान विशेष और अद्वितीय है। उनकी रचनाओं का सौंदर्य एवं कला ने उन्हें अन्य कवियों से अलग किया है। उनके समकालीन और बाद के कवियों ने उनकी प्रशंसा में अनेक सुंदर शब्दों का प्रयोग किया है, जिससे यह स्पष्ट होता है कि कालिदास को सर्वश्रेष्ठ कवि माना जाता है। हालांकि, उनके जीवन और समय के बारे में जानकारी सीमित है। कालिदास का काल निर्धारण करने के लिए विक्रमादित्य का उल्लेख महत्वपूर्ण है। अभिज्ञानशाकुन्तल में उनका नाम आता है, जिससे यह संकेत मिलता है कि कालिदास विक्रमादित्य के समकालीन थे। लेकिन विक्रमादित्य के समय के बारे में विद्वानों में मतभेद है। कुछ विद्वान उन्हें 57 ईस्वी पूर्व में मानते हैं, जबकि अन्य उन्हें चौथी या छठी शताब्दी का मानते हैं। फर्ग्युसन का मत है कि 544 ईस्वी में राजा हर्ष विक्रमादित्य थे और उन्होंने एक संवत् की शुरुआत की, लेकिन यह विचार कई ऐतिहासिक साक्ष्यों के आधार पर कमजोर प्रतीत होता है। दूसरी ओर, गुप्तकालीन विद्वानों का मानना है कि कालिदास चंद्रगुप्त द्वितीय के समय में थे, जो 375 से 413 ईस्वी तक राज करते थे। हालांकि, गुप्तकालीन मत की भी कई सीमाएं हैं। विक्रमादित्य केवल एक उपाधि हो सकती है और इससे पहले कोई अन्य प्रसिद्ध विक्रमादित्य हो चुका था। इसके अतिरिक्त, 57 ईस्वी पूर्व के मत के अनुसार, कालिदास की रचनाएँ उस समय के शासक विक्रमादित्य के साथ जुड़ी हैं, जो शैव थे। इस प्रकार, कालिदास का काल और उनका जीवन एक जटिल और विवादास्पद विषय है, जिसमें विभिन्न विद्वानों के दृष्टिकोण और ऐतिहासिक साक्ष्यों के आधार पर कोई निश्चित निष्कर्ष नहीं निकाला जा सकता है।


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