नाथ संप्रदाय | Nath - sampraday

- श्रेणी: इतिहास / History दार्शनिक, तत्त्वज्ञान और नीति | Philosophy धार्मिक / Religious साधना /sadhana साहित्य / Literature हिंदी / Hindi
- लेखक: हजारी प्रसाद द्विवेदी - Hazari Prasad Dwivedi
- पृष्ठ : 215
- साइज: 24 MB
- वर्ष: 1950
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दो शब्द :
इस पाठ का सारांश नाथ-संप्रदाय के महत्व और उनके सिद्धांतों का विस्तृत अध्ययन प्रस्तुत करता है। डॉ. इजारीगसाद द्विवेदी द्वारा लिखित इस ग्रंथ में नाथ-संप्रदाय की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि, उसके सिद्धों का परिचय, और उनके योग मार्ग के सिद्धांतों का विवेचन किया गया है। लेखक ने विभिन्न प्राचीन ग्रंथों, जनश्रुतियों और आधुनिक साहित्य का उपयोग करके नाथ-संप्रदाय का संपूर्ण अध्ययन किया है। ग्रंथ में पहले दो अध्यायों में नाथ-संप्रदाय तथा उसके सिद्धों का वर्णन है, जबकि अगले अध्यायों में मत्स्येंद्रनाथ और गोरखनाथ के विचारों और उनके अनुयायियों का विस्तृत विवरण है। इस ग्रंथ के माध्यम से पाठक को नाथ-संप्रदाय के नैतिक उपदेशों, उनके योगाभ्यास, और सिद्धांतों का स्पष्ट ज्ञान मिलता है। ग्रंथ की भूमिका में उल्लेख किया गया है कि यह पुस्तक दो महान व्यक्तियों की प्रेरणा से लिखी गई है, जो अब हमारे बीच नहीं हैं। कुल मिलाकर, यह ग्रंथ नाथ-संप्रदाय के इतिहास, उनके प्रमुख सिद्धों, और उनके सिद्धांतों का एक समृद्ध स्रोत है, जो हिंदी साहित्य के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान करता है।
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