कबीर ग्रंथावली | Kabir Granthawali

By: माता प्रसाद गुप्त - Mataprasad Gupt


दो शब्द :

पाठ में 'कवीर-ग्रन्थावली' के द्वितीय संस्करण के प्रकाशन की जानकारी दी गई है। इस ग्रन्थ का सम्पादन डॉ. माताप्रसाद गुप्त ने किया है, जिन्होंने इसे पाठ-विज्ञान के सिद्धान्तों के अनुसार संपादित किया है। ग्रन्थ में प्रत्येक छन्द की विशेष व्याख्या और पाठान्तरों के साथ महत्वपूर्ण सूचनाएँ शामिल की गई हैं, जिससे यह संस्करण अन्य कबीर ग्रन्थावलियों की तुलना में अधिक प्रामाणिक और लाभप्रद सिद्ध होगा। पुस्तक के प्रकाशन का उद्देश्य काव्य-रसिकों की मांग को पूरा करना और कबीर के विचारों को सरल और स्पष्ट भाषा में प्रस्तुत करना है। इसमें राजस्थानी गीत-साहित्य की समृद्धि, उसके ऐतिहासिक महत्व और रचनात्मक परंपरा पर भी प्रकाश डाला गया है। गीतों के रचयिता चारण, राव, और भोजक जैसे कवियों की विशेषताओं और उनके योगदान का उल्लेख किया गया है, जो वीर रस और आत्म-बलिदान से संबंधित गीतों की रचना करते रहे हैं। राजस्थानी भाषा और साहित्य के विकास की प्रक्रिया को भी दर्शाया गया है, जिसमें बताया गया है कि कैसे ये गीत विभिन्न जातियों में विभाजित हैं और उनका सांस्कृतिक महत्व है। अंत में, इस ग्रन्थ के माध्यम से पाठकों को राजस्थानी गीतों के अद्वितीय स्वरूप और उनके ऐतिहासिक संदर्भ को समझने का अवसर मिलेगा।


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