दो शब्द :

"होरा शतक" एक ज्योतिष संबंधी ग्रंथ है, जिसे ज्योतिविद जगन्नाथ भसी ने लिखा है। यह पुस्तक फलित ज्योतिष पर आधारित है और इसमें ज्योतिष के सिद्धांतों का विवेचन किया गया है। पुस्तक का उद्देश्य पाठकों को ज्योतिष के माध्यम से विभिन्न विषयों पर गहन जानकारी प्रदान करना है, खासकर उन लोगों के लिए जो ज्योतिष के क्षेत्र में अनुसंधान करना चाहते हैं। इस ग्रंथ में विभिन्न अध्यायों के माध्यम से व्यवसाय का चुनाव, रोग, फलित सूत्र और ज्योतिष के सिद्धांतों पर चर्चा की गई है। लेखक ने भाव, भावाधिपति और भाव कारक के महत्व पर जोर दिया है और बताया है कि किसी भी ज्योतिष संबंधी प्रश्न का समाधान करते समय इन तीनों तत्वों का ध्यान रखना आवश्यक है। पुस्तक में योगों का विवेचन किया गया है जैसे कि संन्यास और पृथकता, और यह बताया गया है कि कैसे ग्रहों की दृष्टि से व्यक्ति के जीवन में विभिन्न बदलाव आ सकते हैं। इसमें यह भी उल्लेख किया गया है कि पापी ग्रहों का प्रभाव कैसे व्यक्ति के जीवन में कठिनाई उत्पन्न कर सकता है। लेखक ने इस ग्रंथ में अनेक मौलिक नियमों और सिद्धांतों का उल्लेख किया है, जो ज्योतिष के अध्ययन में सहायक हो सकते हैं। उन्होंने ज्योतिष के अध्ययन में लक्षण शास्त्र के महत्व को भी रेखांकित किया है। इस पुस्तक का मुख्य उद्देश्य पाठकों को ज्योतिष की गहरी समझ प्रदान करना और उन्हें फलित ज्योतिष के विभिन्न पहलुओं से अवगत कराना है, जिससे वे अपने जीवन में ज्योतिष का सही उपयोग कर सकें। यह ग्रंथ विशेष रूप से उन छात्रों के लिए लाभकारी है जो ज्योतिष में गहराई से जानने और समझने की इच्छाशक्ति रखते हैं।


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