निरुक्त | Nirukt by


दो शब्द :

इस पाठ में श्रीवाल्मीकि रामायण की हिन्दी में की गई टीका के बारे में चर्चा की गई है। इसमें बताया गया है कि इस टीका को पण्डित जी ने तैयार किया है और इसे उच्च गुणवत्ता का माना गया है। इसे पढ़ने में सरलता है, जिससे बच्चे भी इसे आसानी से पढ़ सकते हैं। इस टीका के लिए उन्हें पुरस्कार भी मिला है, जिसमें ५०० रुपये का पुरस्कार यूनिवर्सिटी और २७० रुपये का पुरस्कार सरकारी गवर्नमेंट की ओर से दिया गया है। पाठ में पण्डित जी की अन्य पुस्तकों का भी उल्लेख किया गया है, जैसे श्रीमद्भगवद्गीता, जिसके लिए उन्हें ३०० रुपये का पुरस्कार मिला। इन पुस्तकों की सरलता और उपयोगिता के बारे में भी बताया गया है। इसके अलावा, पाठ में संस्कृत के कुछ शास्त्रीय ग्रंथों और नामों का उल्लेख किया गया है, जैसे निरुक्त और अन्य व्याकरणिक अवधारणाओं का भी संदर्भ दिया गया है। इनका अध्ययन और अर्थ ज्ञापन भी इस पाठ का हिस्सा है। कुल मिलाकर, यह पाठ पण्डित जी की विद्वता, उनकी पुस्तकों के महत्व और उनके पुरस्कारों के बारे में जानकारी प्रदान करता है, साथ ही संस्कृत की कुछ महत्वपूर्ण व्याकरणिक अवधारणाओं पर भी प्रकाश डालता है।


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