रोगों की अचूक चिकित्सा | Rogon Ki Achook Chikitsa

- श्रेणी: Ayurveda | आयुर्वेद
- लेखक: श्री जानकी शरण वर्मा - Shree Janki Sharan Varma
- पृष्ठ : 470
- साइज: 7 MB
- वर्ष: 1938
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दो शब्द :
इस पाठ में एक पुस्तक की प्रस्तावना और लेखक के विचारों का उल्लेख किया गया है, जिसमें प्राकृतिक चिकित्सा के महत्व और उसकी विधियों पर जोर दिया गया है। लेखक का मानना है कि जो लोग उपचार के लिए किसी विशेष रोग का विवरण पढ़ते हैं, वे सही तरीके से लाभ नहीं उठा सकेंगे। उन्हें किताब को शुरुआत से अंत तक पढ़ना आवश्यक है ताकि वे चिकित्सा के अचूक तरीकों को समझ सकें। प्रस्तावना में डाक्टर लक्ष्मीनारायण चौघुरी ने लेखक की प्रशंसा की है, जो किसी औपचारिक चिकित्सा शिक्षा के बिना भी प्राकृतिक चिकित्सा की विधियों को समझाने में सक्षम हैं। उन्होंने बताया कि इस पुस्तक में स्वस्थ रहने के लिए आवश्यक खान-पान, व्यायाम, आराम और विभिन्न बीमारियों के उपचार के तरीके सरल और स्पष्ट भाषा में प्रस्तुत किए गए हैं। लेखक ने अपनी व्यक्तिगत अनुभवों को साझा किया है, जिसमें उन्होंने एक गंभीर बीमारी से उबरने के लिए प्राकृतिक चिकित्सा अपनाई। उनके अनुभव से यह स्पष्ट होता है कि प्राकृतिक चिकित्सा को अपनाने से स्वास्थ्य में सुधार होता है। इस पुस्तक का उद्देश्य लोगों को रोगों से बचाना और उन्हें बिना खर्च के जल्दी स्वस्थ करना है। लेखक ने यह भी उल्लेख किया है कि प्राकृतिक चिकित्सा के सिद्धांत सरल हैं, लेकिन आधुनिक जीवनशैली ने लोगों को उनसे दूर कर दिया है। पुस्तक में दी गई जानकारी सभी के लिए उपयोगी है, चाहे वे किसी भी सामाजिक वर्ग से हों। लेखक ने इस बात पर जोर दिया है कि लोगों को अपनी स्वास्थ्य संबंधी आदतें सुधारने की आवश्यकता है ताकि वे लंबे समय तक स्वस्थ रह सकें। यह पुस्तक न केवल उपचार के तरीके बताती है, बल्कि यह लोगों को एक स्वस्थ जीवन जीने के लिए प्रेरित करती है।
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