संस्कृत साहित्य का इतिहास | Sanskrit Sahitya Ka Itihas

- श्रेणी: इतिहास / History ग्रन्थ / granth दार्शनिक, तत्त्वज्ञान और नीति | Philosophy भारत / India संस्कृत /sanskrit
- लेखक: बलदेव उपाध्याय - Baldev upadhayay
- पृष्ठ : 138
- साइज: 5 MB
- वर्ष: 1958
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दो शब्द :
इस पाठ में संस्कृत साहित्य के विभिन्न पहलुओं पर चर्चा की गई है। लेखक बलदेव उपाध्याय ने संस्कृत साहित्य की महत्ता और इसके विकास की प्रक्रिया को विस्तार से बताया है। उन्होंने साहित्य और संस्कृति के संबंध, साहित्य की प्राचीनता, उसके महत्व, और उसके विभिन्न प्रकारों का वर्णन किया है। पाठ में संस्कृत साहित्य की चार मुख्य श्रेणियों का उल्लेख है: वैदिक साहित्य, उपजीव्य काव्य, श्रव्य काव्य, और दृश्य काव्य। प्रत्येक श्रेणी के अंतर्गत विभिन्न काव्य और ग्रंथों का विश्लेषण किया गया है। लेखक ने यह भी बताया है कि साहित्य समाज का दर्पण होता है, जो समाज की स्थिति और संस्कृति को दर्शाता है। लेख में उल्लेख किया गया है कि संस्कृत साहित्य का विकास विभिन्न युगों में हुआ है, और इसके भीतर न केवल धार्मिक और दार्शनिक विचारों का समावेश है, बल्कि यह कला और सौंदर्य के विभिन्न रूपों को भी प्रदर्शित करता है। संक्षेप में, यह पाठ संस्कृत साहित्य की ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और साहित्यिक दृष्टि से गहन अध्ययन प्रस्तुत करता है, जो पाठकों को इस समृद्ध विरासत के महत्व को समझने में मदद करता है।
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