यन्त्र मंत्र विधि | Yantra Mantra Vidhi

By: अज्ञात - Unknown


दो शब्द :

इस पाठ में जयपुर में आयोजित पचकल्याणक महोत्सव के संदर्भ में एक पुस्तक के प्रकाशन की जानकारी दी गई है। यह पुस्तक "श्री चतुविशति तीर्थ कर अनाहत यत्र मंत्र विधि" नामक ग्रंथ का अनुवाद है, जिसे गणधराचार्य श्री कुंथुसागर जी महाराज ने कन्नड भाषा से हिंदी में किया है। प्रकाशन का कार्य श्री दिगम्बर जैन कुंथु विजय ग्रंथ माला समिति द्वारा किया जा रहा है। पुस्तक के प्रकाशन का उद्देश्य प्राचीन जैन साहित्य को उजागर करना और समाज के लिए उपयोगी बनाना है। पाठ में कई विद्वानों और आचार्यों द्वारा शुभाशीर्वाद और समर्थन व्यक्त किया गया है, जो इस पहल को सामाजिक कल्याण और ज्ञान के प्रसार की दिशा में महत्वपूर्ण मानते हैं। वे सभी इस प्रयास को सराहते हैं और यह कामना करते हैं कि यह पुस्तक लोगों के लिए लाभदायक सिद्ध हो। इस संदर्भ में, कई विद्वानों ने प्रकाशन संयोजक श्री शान्तिकुमार गगवाल और अन्य सहयोगियों को उनके प्रयासों के लिए शुभकामनाएँ दी हैं, जिससे यह स्पष्ट होता है कि यह कार्य समाज में ज्ञान और आचार्यत्व के प्रचार-प्रसार में सहायक होगा। अंत में, सभी ने इस ग्रंथ के माध्यम से आत्मा के ज्ञान और आत्मिक शक्तियों को जागृत करने की आशा व्यक्त की है।


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