वनोषधि रत्नाकर पार्ट-िव | Vanoshdhi Ratnakar Part-iv

By: वैद्य गोपाल शरण गर्ग - Vaidya Gopal Sharan Garg
वनोषधि रत्नाकर पार्ट-िव | Vanoshdhi Ratnakar Part-iv by


दो शब्द :

इस पाठ में "सुधानिधि" नामक पत्रिका के 20 वर्षों की यात्रा का उल्लेख किया गया है। यह पत्रिका आयुर्वेद से संबंधित है और इसके सफल संपादक वैद्य गोपीनाथ पारीक हैं। पाठ में यह बताया गया है कि सुधानिधि की स्थापना के बाद इसके संस्थापक का निधन हो गया, जिसके बाद पत्रिका को कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ा। विशेषकर, एक आर्थिक संकट ने पत्रिका को प्रभावित किया जब इसे अपनी मूल संस्थान से अलग होना पड़ा। पाठ में सुधानिधि के पाठकों से अनुरोध किया गया है कि वे पत्रिका की सहायता करें, ताकि इसके प्रकाशन में हो रहे घाटे की पूर्ति हो सके। पाठकों को यह सुझाव दिया गया है कि वे नए ग्राहक बनकर और गगे वनौषधि भंडार के उत्पादों का उपयोग करके पत्रिका की मदद कर सकते हैं। इसके साथ ही, आगामी विशेषांक और लघु अंक की जानकारी भी दी गई है, जिसमें चुम्बक चिकित्सा, स्थूलता निवारण, योगासन आदि विषयों पर विशेषांक प्रकाशित किए जाएंगे। पाठ में सुधानिधि के संपादकीय में बदलावों का भी उल्लेख है, जिससे यह पत्रिका आयुर्वेद में रुचि रखने वाले साधारण पाठकों के लिए भी उपयोगी बन सके। अंत में, पाठ में ग्राहक मूल्य में वृद्धि और प्रकाशन में विलंब के कारणों का उल्लेख किया गया है। पाठक समुदाय से अपेक्षा की गई है कि वे इन परिस्थितियों को समझें और पत्रिका का समर्थन करें।


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