भारत का प्रथम स्वतंतर्ता संग्राम | BHARAT KA PRATHAM SWATANTRATA SANGRAM

By: कार्ल मार्क्स - Karl Marx


दो शब्द :

इस पाठ में कार्ल मार्क्स और फ्रेडरिक एंगेल्स द्वारा भारतीय विद्रोह (1857-59) पर लिखे गए लेखों का संग्रह प्रस्तुत किया गया है। इसमें भारत में ब्रिटिश शासन और ईस्ट इंडिया कंपनी के इतिहास तथा उनके प्रभावों का गहन विश्लेषण किया गया है। मार्क्स और एंगेल्स ने भारतीय समाज के आर्थिक और राजनीतिक ढांचे में आए परिवर्तनों पर ध्यान केंद्रित किया और बताया कि कैसे ब्रिटिश उपनिवेशीकरण ने भारतीय अर्थव्यवस्था और सामाजिक संरचना को नष्ट किया। मार्क्स ने ब्रिटिश शासन के तहत भारतीय किसानों पर पड़े करों के बोझ का उल्लेख किया और बताया कि किस प्रकार ब्रिटिश नीति ने किसानों को अत्याचार और शोषण का शिकार बनाया। उन्होंने यह भी कहा कि औपनिवेशिक लूट-खसोट ने भारतीय उद्योगों को बर्बाद कर दिया और लोगों को भुखमरी की स्थिति में धकेल दिया। इस विद्रोह को केवल सैनिकों की बगावत के रूप में नहीं, बल्कि एक व्यापक राष्ट्रीय मुक्ति संघर्ष के रूप में देखने की आवश्यकता है, जिसमें विभिन्न धर्मों और जातियों के लोगों ने एकजुट होकर ब्रिटिश शासन के खिलाफ आवाज उठाई। मार्क्स और एंगेल्स ने इस संघर्ष को एक महत्वपूर्ण ऐतिहासिक घटना के रूप में देखा, जो न केवल भारतीय जनता के लिए, बल्कि अन्य उपनिवेशित देशों के लिए भी प्रेरणा स्रोत बन सकता था। इस प्रकार, पाठ में मार्क्स और एंगेल्स की विचारधारा के माध्यम से भारतीय विद्रोह और उसके ऐतिहासिक महत्व पर प्रकाश डाला गया है।


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