धम्मपद | DHAMMAPAD

- श्रेणी: Speech and Updesh | भाषण और उपदेश Vedanta and Spirituality | वेदांत और आध्यात्मिकता ज्योतिष / Astrology दार्शनिक, तत्त्वज्ञान और नीति | Philosophy धार्मिक / Religious बाल पुस्तकें / Children बौद्ध / Buddhism संस्कृत /sanskrit हिंदी / Hindi
- लेखक: पुस्तक समूह - Pustak Samuh भदंत आनंद कौसल्यायन - Bhadant Aanand Kausalyayan
- पृष्ठ : 136
- साइज: 5 MB
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दो शब्द :
इस पाठ में विभिन्न विषयों पर चर्चा की गई है, जिनमें ज्ञान का महत्व, शिक्षा प्रणाली, और समाज में शिक्षा की भूमिका शामिल हैं। यह बताया गया है कि शिक्षा केवल ज्ञान प्राप्त करने का एक साधन नहीं है, बल्कि यह व्यक्ति के विकास और समाज की प्रगति में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। पाठ में यह भी उल्लेख किया गया है कि शिक्षा का उद्देश्य केवल परीक्षा में अच्छे अंक लाना नहीं है, बल्कि यह सोचने, समझने और निर्णय लेने की क्षमता विकसित करना भी है। इसके साथ ही, शिक्षा के माध्यम से व्यक्ति सामाजिक और नैतिक मूल्यों को भी समझता है और उनका पालन करता है। शिक्षा का प्रभाव केवल व्यक्तिगत जीवन तक सीमित नहीं है, बल्कि यह समाज के समग्र विकास में भी योगदान करती है। इस प्रकार, शिक्षा को एक व्यापक दृष्टिकोण से देखना आवश्यक है ताकि हम इसके वास्तविक महत्व को समझ सकें और इसका सही उपयोग कर सकें। इस पाठ का उद्देश्य पाठकों को शिक्षा के महत्व और उसके व्यापक प्रभाव के बारे में जागरूक करना है।
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