रंगभूमि | Rangbhumi

By: प्रेमचंद - Premchand


दो शब्द :

इस पाठ में प्रेमचंद ने प्रेम और वासना के बीच के अंतर को स्पष्ट किया है। कहानी के पात्र विनय और सोफिया के बीच का प्रेम एक शुद्ध और निस्वार्थ भावना में बंधा हुआ है, जिसमें वासना का कोई स्थान नहीं है। सोफिया अपने प्रेम को एक अनमोल वरदान मानती है और विनय की साधु-संस्कृति का सम्मान करती है। विनय की यात्रा की तैयारी चल रही है, और सोफिया के मन में विनय से मिलने की बेचैनी है। सोफिया और विनय की बातचीत में प्रेम का भाव छिपा होता है, लेकिन दोनों अपने-अपने धर्म और सामाजिक बंधनों के कारण खुलकर बात नहीं कर पाते। सोफिया की चिंता बढ़ती है कि विनय चले जाएंगे और वह उनसे विदा नहीं ले पाएगी। वह अपने दिल में यह सोचती है कि अगर वह राजपूतनी होती, तो उसकी स्थिति अलग होती। कहानी में यह दिखाया गया है कि प्रेम के मार्ग में सामाजिक बाधाएं और सांप्रदायिक भेद भी होते हैं, जो व्यक्ति के मन को परेशान करते हैं। अंततः, जब विनय यात्रा पर निकलते हैं, तो सोफिया अपने मन की गहराइयों में जाकर उन परिदृश्यों को देखती है, जो उसके लिए दुखदायी हैं। वह विनय के साथ चलने का प्रयास करती है, लेकिन प्रभु सेवक उसे रोकते हैं और उसे स्टेशन जाने का सुझाव देते हैं। इस तरह, पाठ में प्रेम की पवित्रता और सामाजिक रूढ़ियों के बीच संघर्ष को दर्शाया गया है।


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