सिंघासन बत्तीसी | Singhasan Battisi

By: ब्रजबल्लभ हरिप्रसाद - Brajbalabh Hariprasad


दो शब्द :

इस पाठ में "सिहासन बत्तीसी" नामक कथा का वर्णन किया गया है, जिसमें महाराजा विक्रमादित्य का उल्लेख है। इस कथा में राजा विक्रम के सिंहासन पर बैठने की प्रक्रिया और उनकी महानता का वर्णन किया गया है। विक्रमादित्य को यह सिंहासन एक दिव्य उपहार के समान मिलता है, जो उन्हें उनकी दयालुता और न्यायप्रियता के लिए दिया जाता है। राजा विक्रम ने अपने राज्य में अनेक अच्छे कार्य किए और अपने प्रजाजन के प्रति अपनी जिम्मेदारियों को निभाया। उन्होंने ब्राह्मणों को दान दिया और समाज में खुशहाली लाने के लिए कई योजनाएं बनाई। इसके अलावा, राजा ने अपने जीवन के अनुभवों के आधार पर अपने दरबार में पंडितों से सलाह ली और समाज के उत्थान के लिए उचित निर्णय लिए। पाठ में विक्रम के पराक्रम और उनके कार्यों की प्रशंसा की गई है। इस तरह, यह कथा राजा विक्रम की महानता, उनकी दयालुता, और उनके शासन के दौरान प्रजा के सुख-सुविधा के लिए किए गए प्रयासों का चित्रण करती है। यह कथा न केवल एक राजा के गुणों का वर्णन करती है, बल्कि यह भी दर्शाती है कि एक अच्छा शासक कैसे अपने राज्य को समृद्धि की ओर ले जा सकता है।


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