मोहिनी विद्या | Mohini Vidhya

By: अज्ञात - Unknown
मोहिनी विद्या  | Mohini Vidhya by


दो शब्द :

इस पाठ में सस्पादक, गोपालराप गहसर द्वारा लिखी गई एक पुस्तक का परिचय दिया गया है, जिसमें मेसमेरिज़्म या मोहिनी विद्या के बारे में चर्चा की गई है। लेखक का कहना है कि आज के शिक्षित समाज में लोग ठगों और धूर्तों के खेलों को समझने लगे हैं और वे अपनी आत्मा की शक्ति को पहचानने में सक्षम हो गए हैं। लेखक ने यह भी बताया है कि आत्मा में अद्भुत शक्तियाँ होती हैं और इन शक्तियों के अध्ययन से व्यक्ति आत्म-साक्षात्कार कर सकता है। पाठ में मेसमेरिज़्म की परिभाषा दी गई है और यह बताया गया है कि यह विद्या केवल मनोरंजन के लिए नहीं, बल्कि गहरी साधना और विश्वास के साथ की जानी चाहिए। जो लोग इसे सही तरीके से सीखते हैं, वे अवश्य सफल होते हैं। लेखक ने इस विद्या के प्रति लोगों की बढ़ती रुचि का भी उल्लेख किया है और बताया है कि इसे सीखने के लिए योग्य गुरु की आवश्यकता होती है। पाठ में इस विद्या के इतिहास का भी उल्लेख है, जिसमें प्राचीन ऋषियों और साधुओं द्वारा इसके प्रयोग की चर्चा की गई है। लेखक ने यह भी बताया है कि इस विद्या को गलत तरीके से इस्तेमाल करने वाले ठगों की पहचान करना कठिन हो गया है। पाठ का अंत इस बात पर होता है कि मेसमेरिज़्म का सही ज्ञान और साधना करने वालों को इसमें सफलता अवश्य मिलेगी, बशर्ते वे निरंतर अभ्यास करें और अपने गुरु के मार्गदर्शन का पालन करें।


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