जप योग | Jap Yoga

- श्रेणी: Vedanta and Spirituality | वेदांत और आध्यात्मिकता इतिहास / History ज्ञान विधा / gyan vidhya योग / Yoga
- लेखक: स्वामी शिवानन्द - Swami Shivanand
- पृष्ठ : 149
- साइज: 4 MB
- वर्ष: 1956
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दो शब्द :
इस पाठ में स्वामी शिवानन्द ने जप और योग के माध्यम से आत्मा की पहचान और आध्यात्मिक विकास के महत्व पर जोर दिया है। वे बताते हैं कि कलिकाल में भगवत्माप्ति का सरल उपाय केवल जप है। जप के द्वारा कई महान ऋषियों ने भगवान के दर्शन किए हैं, लेकिन आजकल शिक्षित वर्ग इस पर विश्वास नहीं करता। स्वामी शिवानन्द का मानना है कि जो लोग केवल भौतिक जीवन में लिप्त हैं, वे पशु समान हैं। स्वामी शिवानन्द ने साधना के महत्व को रेखांकित करते हुए कहा है कि आध्यात्मिक जीवन ही सच्चा जीवन है और यह आवश्यक है कि लोग अपनी इंद्रियों को नियंत्रित करें और मन को एकाग्र करें। जप और योग का अभ्यास मनुष्य को मानसिक शांति और ज्ञान प्रदान करता है, जिससे वह भौतिक जीवन की चिंताओं से मुक्त हो सकता है। पुस्तक में जप की परिभाषा, भगवन्नाम की महिमा, विभिन्न प्रकार के मंत्र, साधना के उपयोगी उपदेश और जप द्वारा भक्ति की प्राप्ति के लिए महात्माओं के चरित्र सहित कई महत्वपूर्ण विषयों का समावेश किया गया है। स्वामी शिवानन्द अंत में पाठकों को प्रेरित करते हैं कि वे जप के माध्यम से अपने जीवन को आध्यात्मिक दृष्टि से समृद्ध करें और भगवान की कृपा प्राप्त करें।
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