दाम्पत्य जीवन | Dampatya Jeevan

- श्रेणी: Love and Relationships | प्रेम और विवाह साहित्य / Literature
- लेखक: सुशीला देवी निगम - Sushila devi Nigam
- पृष्ठ : 355
- साइज: 9 MB
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दो शब्द :
इस पाठ का सारांश इस प्रकार है: इस पुस्तक का उद्देश्य काम-विज्ञान या जनन-विज्ञान के विषय में जानकारी प्रदान करना है, जिसमें महिला और पुरुष दोनों के लिए आवश्यक ज्ञान का समावेश किया गया है। लेखिका ने इस विषय पर प्रकाश डालने का प्रयास किया है, ताकि लोग इस नाजुक विषय को समझ सकें और इसके दुरुपयोग से बच सकें। उन्होंने यह माना है कि समाज में इस विषय को लेकर कई भ्रांतियाँ और लज्जा मौजूद हैं, जिससे लोग सही जानकारी से वंचित रहते हैं। लेखिका ने उल्लेख किया है कि भारतीय समाज में विवाह की आयु कम हो रही है और युवा अवस्था में ही लोग यौन संबंध स्थापित करने लगते हैं, जबकि इस विषय को गोपनीय और लज्जाजनक समझा जाता है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया है कि यौन संबंध मानव जीवन का एक महत्वपूर्ण पहलू है, जिसे स्वाभाविक और आवश्यक माना जाना चाहिए। पुस्तक में विभिन्न विषयों पर चर्चा की गई है, जैसे दांपत्य जीवन, प्रजनन स्वास्थ्य, यौन शिक्षा, और संबंधित रोगों के बारे में जानकारी। लेखिका ने यह भी कहा है कि इस विषय पर लोगों की सोच और दृष्टिकोण में बदलाव लाना आवश्यक है, ताकि वे इस विषय को समझ सकें और स्वस्थ जीवन जी सकें। लेखिका ने अपने काम में विभिन्न पुस्तकों से सहायता ली है और सभी स्रोतों का उल्लेख किया है। उन्होंने अपने अनुभव और विचारों को साझा करते हुए पाठकों को इस विषय पर जागरूक करने का प्रयास किया है। अंततः, उन्होंने यह उल्लेख किया है कि यह पुस्तक केवल जानकारी देने के लिए है, और इसके परिणामों का उत्तरदायित्व उनके हाथ में नहीं है।
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