कृपीपक्व रसायन और भस्म | Kripipakvya Rasayan Aur bhasm

By: एच. आर. शिवदासानी - H. R. Shivdasani


दो शब्द :

इस पाठ में एच.आर. शिवदासानी द्वारा एक औषधालय की स्थापना और उसके कार्यों का उल्लेख किया गया है। उन्होंने औषधालय के द्वारा ग्रंथों के प्रकाशन और औषधियों के विक्रय को सेवा भाव से करने की बात की है। सभी वस्तुओं के मूल्य को कम रखने का प्रयास किया गया है और भविष्य में यदि कोई धर्मार्थ संस्था उनके ग्रंथों का प्रकाशन करना चाहती है, तो उनकी सहमति बिना किसी आपत्ति के दी जाएगी। शिवदासानी ने बताया कि औषधि प्रयोगों में से कोई भी प्रयोग गुप्त नहीं रखा जाएगा क्योंकि इससे आयुर्वेद और देश को नुकसान हो सकता है। उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि धार्मिक भावना से काम करने वाले संरक्षक वर्ग को सत्य पालन में दृढ़ता प्रदान करनी चाहिए। पाठ में विभिन्न औषधियों और रसायनों के नाम और उनके प्रयोग विधियों का भी वर्णन है। औषधियों के निर्माण की प्रक्रिया, उनके गुण और उपयोग के बारे में विस्तृत जानकारी दी गई है। पाठ में एक चिकित्सीय दृष्टिकोण से औषधियों के लाभ और उनके प्रयोग की विधियाँ विस्तार से समझाई गई हैं, जिससे पाठक औषधियों के सही उपयोग को समझ सके। साथ ही, पाठ में यह भी बताया गया है कि औषधियों के निर्माण में पारंपरिक विधियों का पालन किया गया है और उनके गुणात्मक विशेषताओं को बढ़ाने के लिए विभिन्न प्रक्रियाओं का उपयोग किया गया है। यह पाठ आयुर्वेदिक चिकित्सा के महत्व को उजागर करता है और औषधालय के कार्यों को समाज के कल्याण के लिए समर्पित बताता है।


Please share your views, complaints, requests, or suggestions in the comment box below.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *