सूरसागर सार सटीक | Sursagar Saar Satik

By: धीरेन्द्र वर्मा - Dheerendra Verma
सूरसागर सार सटीक | Sursagar Saar Satik by


दो शब्द :

इस पाठ में महाकवि सूरदास और उनकी प्रमुख कृति 'सूरसागर' का परिचय दिया गया है। सूरदास को हिंदी साहित्य का सूर्य माना जाता है, लेकिन उनकी कृति 'सूरसागर' का अध्ययन अपेक्षाकृत कम हुआ है। इसका मुख्य कारण यह है कि यह ग्रंथ बहुत बड़ा है और इसमें विभिन्न स्वरों की सामग्री मिश्रित है। पूर्व में उपलब्ध संस्करणों की गुणवत्ता भी संतोषजनक नहीं थी। इस संकलन में 'सूरसागर' के लगभग 831 उत्कृष्ट पदों का चयन किया गया है, जो मुख्य रूप से कृष्ण चरित से संबंधित हैं। चयन को छह शीर्षकों में विभाजित किया गया है, जैसे गोकुल लीला, राधा-कृष्ण आदि, जिससे पाठक कृष्ण-जन्म से राधा-कृष्ण के मिलन तक की कथा को क्रमबद्ध रूप में समझ सकें। सूरदास की काव्यकला का मूल्यांकन अभी तक संपूर्ण रूप से नहीं किया गया है, हालांकि उनकी रचनाओं में सहज कलात्मकता और रसानुभूति की कोई दूसरी मिसाल नहीं है। 'सूरसागर' वास्तव में 'रससागर' है, और पाठक इससे आनंद प्राप्त कर सकते हैं। महाकवि सूरदास का जन्म एक निर्धन ब्राह्मण परिवार में हुआ था, और उन्होंने भगवद्भक्ति में अपने जीवन का अधिकांश समय बिताया। उनकी प्रमुख रचना 'सूरसागर' है, जिसमें भगवान श्रीकृष्ण की लीलाओं का वर्णन किया गया है। हालांकि सूरदास की अन्य रचनाएँ भी हैं, लेकिन 'सूरसागर' उनकी सबसे महत्वपूर्ण कृति मानी जाती है। पाठ में यह भी बताया गया है कि इस संकलन में सभी पदों का अनुवाद किया गया है, जिससे पाठकों को 'सूरसागर' की गहराई को समझने में मदद मिलेगी। इस प्रकार, यह संग्रह न केवल सूरदास की कृति का परिचय कराता है, बल्कि पाठकों के लिए इसे समझने में भी सहायक सिद्ध होगा।


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