वाराही(बृहत) संहिता | Varahi(bruhat) Samhita

By: बलदेव प्रसाद - Baldev Prasad वराहमिहिर - Varahamihir


दो शब्द :

यह पाठ ज्योतिष और ऋतुओं के अध्ययन से संबंधित है, जिसमें वाराहमिहिर की रचनाओं का उल्लेख है। वाराहमिहिर एक प्रसिद्ध ज्योतिषी थे, जिन्होंने विभिन्न नक्षत्रों और ऋतुओं के संबंध में ज्ञान प्रदान किया। उन्होंने अपने समय में ऋतुओं के परिवर्तन और उनके प्रभावों का गहन अध्ययन किया और अपनी रचनाओं में इसे व्यवस्थित रूप से प्रस्तुत किया। पाठ में वाराहमिहिर की एक रचना का उल्लेख है, जिसमें उन्होंने नक्षत्रों की स्थिति और उनके प्रभावों के बारे में विस्तृत जानकारी दी है। यह भी बताया गया है कि कैसे विभिन्न ऋतुएँ और नक्षत्र एक दूसरे से प्रभावित होते हैं, और किस प्रकार से इनका मानव जीवन पर प्रभाव पड़ता है। पाठ में यह भी वर्णित है कि वाराहमिहिर के समय में ज्योतिष का अध्ययन कैसे किया जाता था और किस प्रकार से गणितीय गणनाओं के माध्यम से नक्षत्रों की गति का आकलन किया जाता था। उन्होंने अपने ज्ञान के माध्यम से न केवल ज्योतिष की प्रणाली को समझाया, बल्कि उसे एक वैज्ञानिक दृष्टिकोण से भी प्रस्तुत किया। इसके अतिरिक्त, पाठ में विभिन्न ऋतुओं के नाम और उनके समय के साथ-साथ नक्षत्रों के संबंध में भी चर्चा की गई है। कुल मिलाकर, यह पाठ वाराहमिहिर के कार्यों और उनके योगदान को उजागर करता है, जो कि भारतीय ज्योतिष की एक महत्वपूर्ण धारा है।


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