राजस्थान के इतिहास के स्रोत भाग 1 | Rajasthan Ke Itihas Ke Strota part 1

- श्रेणी: Art and Architecture | कला और वास्तुकला Cultural Studies | सभ्यता और संस्कृति इतिहास / History भारत / India
- लेखक: गोपीनाथ शर्मा - Gopinath Sharma
- पृष्ठ : 314
- साइज: 13 MB
- वर्ष: 1903
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दो शब्द :
राजस्थान के इतिहास के स्रोतों पर आधारित इस पाठ में लेखक डॉ. गोपीनाथ शर्मा ने विभिन्न ऐतिहासिक साधनों का विस्तृत वर्णन किया है। उन्होंने बताया है कि अतीत के राजनीतिक, सामाजिक, और सांस्कृतिक परिवर्तन वर्तमान इतिहास के लिए प्रेरणा स्रोत बनते हैं। राजस्थान के ऐतिहासिक स्रोतों में काव्य, कथा, ख्यात, वंशावली, शिलालेख, दानपत्र, और यात्रियों के विवरण शामिल हैं। इन साधनों से कई ऐतिहासिक घटनाओं, व्यक्तियों और राजाओं की जानकारी मिलती है। लेखक ने यह भी उल्लेख किया है कि शिलालेख और दानपत्र जैसे स्रोत राजस्थान के इतिहास के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण हैं। इसके अलावा, अतीत में आए यात्रियों द्वारा लिखी गई फ़ारसी तवारीखें भी महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान करती हैं, हालांकि इनमें से कुछ एकपक्षीय हो सकती हैं। लेख में यह भी उल्लेख किया गया है कि राजस्थान का इतिहास विभिन्न रियासतों और उनके शासकों के इर्द-गिर्द घूमता है, और ऐतिहासिक सामग्री का संतुलित उपयोग नहीं हो पाया है। इसके लिए लेखक ने पुरातात्विक सामग्री, पुरालेख, ऐतिहासिक साहित्य और स्थापत्य कला के प्रतीकों का वर्गीकरण किया है। पुरातात्विक सामग्री के अंतर्गत शिलालेख, दानपत्र, मूर्तियाँ, और भग्नावशेष शामिल हैं, जो राजस्थान के इतिहास को समझने में सहायक हैं। लेखक ने कालीबंगा जैसे प्राचीन स्थलों का उदाहरण देते हुए बताया है कि यहाँ की खुदाई से हमें प्राचीन सभ्यता की जानकारी मिलती है। अंत में, लेखक ने यह भी कहा है कि राजस्थान के इतिहास का सही निर्माण तभी संभव है जब हम पुरानी सामग्री का समुचित अध्ययन करें और उसे ऐतिहासिक संदर्भ में व्यवस्थित करें।
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