भारतीय संगीत का इतिहास | Bhartiya Sangeer Ka Itihas

- श्रेणी: इतिहास / History संगीत / Music साहित्य / Literature
- लेखक: उमेश जोशी - Umesh Joshi
- पृष्ठ : 531
- साइज: 39 MB
- वर्ष: 1957
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दो शब्द :
इस पाठ में भारतीय संगीत का इतिहास प्रस्तुत किया गया है, जिसमें वैदिक युग से लेकर पौराणिक काल तक के संगीत के विकास और विशेषताओं का वर्णन किया गया है। वैदिक युग में संगीत का मुख्य रूप यज्ञों से संबंधित था, और इसे सामवेद के माध्यम से गाया जाता था। सामवेद में गान और संगीत के उपकरणों का उल्लेख मिलता है, और इसे गाने की एक विशिष्ट शैली थी। इस युग में संगीत के तीन मुख्य स्वर उदात्त, अनुदात्त और स्वरित माने जाते थे, और इनसे सात स्वरों का निर्माण हुआ। संगीत का विकास धीरे-धीरे हुआ और विभिन्न ग्रंथों में इसकी चर्चा की गई है। पाठ में यह भी बताया गया है कि वैदिक संगीत में विशेष रूप से स्वर साधना पर ध्यान दिया जाता था और संगीत के विभिन्न अंग जैसे वीणा, वेणु आदि का प्रचलन था। पौराणिक काल में संगीत की स्थिति में कोई विशेष परिवर्तन नहीं आया, लेकिन इसमें संगीत का आदर और महत्व बना रहा। इस युग में संगीतकारों का चरित्र वैदिक युग के समान आदर्श नहीं रहा, जिससे संगीत की पवित्रता में कमी आई। इस प्रकार, पाठ भारतीय संगीत के विकास के विभिन्न चरणों और उनके सामाजिक, धार्मिक, और सांस्कृतिक संदर्भों को उजागर करता है।
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