चक्र दत्त | Chakra Datta by


दो शब्द :

यह पाठ "आयुर्वेद" और उसके महत्व पर केंद्रित है, जिसमें यह बताया गया है कि आयुर्वेद का उद्देश्य शरीर की आरोग्यता की रक्षा करना और रोगों का उपचार करना है। महर्षि अभिवेश के अनुसार, आयुर्वेद का मूल उद्देश्य धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष के चारों पदार्थों का प्राप्त करना है, जो कि केवल स्वस्थ शरीर के माध्यम से संभव है। पाठ में यह भी उल्लेख किया गया है कि आयुर्वेद के आचार्य, जैसे ब्रह्मा, इंद्र, और भरद्वाज ने विस्तृत संहिताएँ बनाई हैं, जो समय के साथ विकसित होती गईं। विभिन्न महर्षियों ने इन संहिताओं से सार निकालकर सामान्य लोगों के लिए उपयोगी जानकारी प्रस्तुत की। इसके अंतर्गत रोग चिकित्सा और स्वास्थ्य रक्षा के दो मुख्य विभागों का उल्लेख किया गया है। इसके बाद, पाठ में "चक्रदत्त" नामक एक महत्वपूर्ण चिकित्सा ग्रंथ का उल्लेख किया गया है, जिसे चरक संहिता की व्याख्या के रूप में देखा जाता है। इसे नयपाल राज के प्रधान वैद्य ने लिखा था और इसे चिकित्सा के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण ग्रंथ माना जाता है। लेखक ने यह भी बताया है कि उन्होंने इस ग्रंथ पर एक सरल हिंदी टीका "सुबोधिनी" लिखी है, ताकि इसे आम पाठकों के लिए समझना आसान हो सके। इस टीका को उन्होंने 1983 में पूरा किया और इसे प्रकाशित करने का प्रयास किया। आयुर्वेद की उपयोगिता और ज्ञान को बढ़ावा देने के लिए लेखक ने पाठकों से निवेदन किया है कि यदि कोई त्रुटि हो, तो उसे सुधारने के लिए उन्हें सूचित करें। अंत में, लेखक ने अपने योगदान को साझा करते हुए इसे समाज के लिए उपयोगी मानते हुए अपने कार्य की सफलता की आशा व्यक्त की है।


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