हर्षचरित : एक सांस्कृतिक अध्ययन | HarshCharit : Ek Sanskritik Adhyayan

By: श्री वासुदेवशरण अग्रवाल - Shri Vasudevsharan Agarwal


दो शब्द :

इस पाठ में डॉ. वासुदेवशरण अग्रवाल के कार्य और उनके ग्रंथ "हर्षचरित: एक सांस्कृतिक अध्ययन" का वर्णन किया गया है। लेखक ने बिहार-राष्ट्रभाषा-परिषद् के माध्यम से हिंदी साहित्य को समृद्ध करने का प्रयास किया है और परिषद् के माध्यम से विद्वानों को अपनी स्वतंत्रता और रचनात्मकता के साथ कार्य करने का अवसर प्रदान किया गया है। डॉ. अग्रवाल ने बाणभट्ट की कृति "हर्षचरित" के सांस्कृतिक अध्ययन पर व्याख्यान दिए, जिनका आयोजन बिहार-राष्ट्रभाषा-परिषद् ने किया था। उनके भाषणों की प्रशंसा करते हुए आचार्य हजारीप्रसाद द्विवेदी ने डॉ. अग्रवाल की गहन अध्ययन दृष्टि की सराहना की। डॉ. अग्रवाल ने संस्कृत साहित्य के अध्ययन में नई दिशा प्रदान की और बाणभट्ट के साहित्य के विभिन्न पहलुओं की गहराई से पड़ताल की। पाठ में यह भी बताया गया है कि डॉ. अग्रवाल का शैक्षणिक और शोध कार्य अत्यंत प्रतिष्ठित रहा है, जिसमें उन्होंने कई महत्वपूर्ण उपाधियाँ प्राप्त की हैं। उनकी कृतियों ने हिंदी साहित्य और संस्कृति में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। अंत में, पाठ में उल्लेख किया गया है कि डॉ. अग्रवाल की पुस्तक का द्वितीय संस्करण प्रकाशित किया गया है, जिसमें पिछले संस्करण की गलतियों को सुधारा गया है और नए तथ्यों को शामिल किया गया है। यह पुस्तक बाणभट्ट के साहित्य का एक महत्वपूर्ण अध्ययन है और पाठकों के लिए एक मूल्यवान सांस्कृतिक सामग्री प्रस्तुत करती है।


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