वाल्मीकि रामायण तथा आयुर्वेद | Valmiki Ramayana Aur Ayurveda

By: प्रेरणा माथुर - Dr. Shrimati Prerana Mathur


दो शब्द :

"वाल्मीकि रामायण तथा आयुर्वेद" पुस्तक का उद्देश्य वाल्मीकि रामायण में निहित आयुर्वेदिक सामग्री का मूल्यांकन करना है। यह पुस्तक भारतीय साहित्य के पहले महाकाव्य "रामायण" को केंद्र में रखकर आयुर्वेद के सामाजिक, सांस्कृतिक और आध्यात्मिक योगदान को प्रदर्शित करती है। लेखिका डॉ. प्रेरणा माथुर ने इस विषय पर गहन शोध किया है, जो आयुर्वेद के महत्व को उजागर करने में सहायक है। रामायण की रचना का समय वैदिक काल के बाद का है और इसे महर्षि वाल्मीकि ने लिखा। इस महाकाव्य में अनेक विषयों का समावेश है, जिसमें मानव जीवन के विभिन्न पहलू, नैतिकता, स्वास्थ्य, और आयुर्वेद शामिल हैं। पुस्तक का उद्देश्य पाठकों को आयुर्वेदिक पद्धति से परिचित कराना और इसके महत्व को समझाना है। पुस्तक के प्रारंभ में विभिन्न विद्वानों द्वारा दी गई शुभकामनाएँ और प्रशंसा शामिल है, जो इस ग्रंथ के महत्व को दर्शाती हैं। डॉ. प्रेरणा माथुर के अनुसंधान कार्य को एक संदर्भ ग्रंथ के रूप में मान्यता दी गई है, जो भारतीय चिकित्सा प्रणाली का आधार बनेगा। इस प्रकार, यह ग्रंथ समाज को प्राचीन आयुर्वेदिक ज्ञान से जोड़ने का प्रयास करता है, जिससे पाठक स्वस्थ जीवन जीने की प्रेरणा प्राप्त कर सकें।


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