कवितावली | Kavitavali by


दो शब्द :

इस पाठ में गोस्वामी तुलसीदास की काव्यकला का वर्णन किया गया है, जिसमें भाव, रस और अलंकारों का प्रयोग विशेष रूप से ध्यान आकर्षित करता है। पाठ में विभिन्न रसों का उदाहरण दिया गया है, जैसे वीर रस, भयानक रस, और शृंगार रस। तुलसीदास ने अपने काव्य में भगवान राम के चरित्र और उनके कार्यों का सुंदर चित्रण किया है, जिससे पाठक को राम के प्रति श्रद्धा और प्रेम का अनुभव होता है। पाठ में प्रस्तुत कविताओं में तुलसीदास ने भगवान राम के रूप और गुणों का वर्णन किया है, जैसे उनके नेत्र, सौंदर्य और खेल-तमाशे। राम की बाल्यावस्था का चित्रण करते हुए कवि ने उनकी मासूमियत और आकर्षण को दर्शाया है। वह यह भी बताते हैं कि ऐसे दिव्य रूप वाले राम से प्रेम न करने वाले लोग पशुओं के समान हैं। कविताओं में अलंकारों का प्रयोग भी किया गया है, जैसे उपमा और रूपक, जो राम के वर्णन को और भी प्रभावी बनाते हैं। पाठ में राम के आगमन पर ऋषियों की खुशी और आशा का भी उल्लेख है, जब भगवान राम ने अहल्या को पुनर्जीवित किया। पाठ का मूल उद्देश्य तुलसीदास की काव्यशक्ति और भगवान राम के प्रति उनकी भक्ति को उजागर करना है। कुल मिलाकर, यह पाठ रामकथा के प्रति तुलसीदास की गहरी श्रद्धा और उनकी काव्य प्रतिभा का एक महत्वपूर्ण प्रमाण है, जो पाठक को राम के प्रति प्रेम और भक्ति से भर देता है।


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