अंतर्राष्ट्रीय कानून | Antarrashtriya Kanun

- श्रेणी: Crime,Law and Governance | अपराध ,कानून और शासन
- लेखक: हरिश्चंद्र शर्मा - Harishchandra Sharma
- पृष्ठ : 890
- साइज: 17 MB
- वर्ष: 1988
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दो शब्द :
इस पाठ में अंतर्राष्ट्रीय कानून के विभिन्न पहलुओं का विस्तृत वर्णन किया गया है। लेखक, हरिश्यंद्र शर्मा, ने अंतर्राष्ट्रीय कानून की प्रकृति, उसके क्षेत्र, और क्या यह वास्तव में एक कानून है, जैसे प्रश्नों पर प्रकाश डाला है। इसमें अंतर्राष्ट्रीय कानून के स्रोत, जैसे रिवाज, संधियाँ, और विशेषज्ञों की व्यवस्था, के बारे में चर्चा की गई है। पाठ में अंतर्राष्ट्रीय कानून और राष्ट्रीय कानून के बीच के संबंध, विभिन्न सिद्धांतों जैसे द्वैतात्मकता, एकीकरण, और रूपांतरण का भी विश्लेषण किया गया है। इसके अलावा, अंतर्राष्ट्रीय कानून का ऐतिहासिक विकास, विशेष रूप से ग्रोशियस के विचारों से लेकर आधुनिक युग तक की यात्रा का विवरण प्रस्तुत किया गया है। सहिताकरण, राज्यों के अधिकार और कर्तव्यों, और मान्यता के सिद्धांतों पर भी चर्चा की गई है। पाठ में राज्य का उत्तराधिकार, प्रादेशिक अधिकार, और अंतर्राष्ट्रीय संगठनों की सदस्यता जैसे मुद्दे भी शामिल हैं। अंत में, पाठ में अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय और संयुक्त राष्ट्र संघ की संरचना और कार्यों का उल्लेख किया गया है, जो अंतर्राष्ट्रीय कानून के कार्यान्वयन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। इस प्रकार, यह पाठ अंतर्राष्ट्रीय कानून के विभिन्न पहलुओं का समग्र और विस्तृत अध्ययन प्रस्तुत करता है, जो वर्तमान वैश्विक परिप्रेक्ष्य में भी प्रासंगिक है।
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