महाभारत अनुशासन पर्व | Mahabharat Anushasan Parva

- श्रेणी: दार्शनिक, तत्त्वज्ञान और नीति | Philosophy धार्मिक / Religious हिंदू - Hinduism
- लेखक: श्रीपाद दामोदर सातवलेकर - Shripad Damodar Satwalekar
- पृष्ठ : 987
- साइज: 69 MB
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दो शब्द :
इस पाठ में महाभारत के एक अंश का वर्णन किया गया है, जिसमें युधिष्ठिर और भीष्म के बीच संवाद है। युधिष्ठिर अपने पितामह भीष्म से प्रश्न पूछते हैं कि जब शांति के उपायों के बारे में इतने सारे विचार हैं, तो अंततः शांति की प्राप्ति क्यों नहीं होती। भीष्म उन्हें समझाते हैं कि शांति के लिए केवल बाहरी उपायों की आवश्यकता नहीं होती, बल्कि आंतरिक शांति भी आवश्यक होती है। इस संवाद में शांति की खोज, युद्ध के परिणाम, और मानव स्वभाव की जटिलताओं का विश्लेषण किया गया है। भीष्म युधिष्ठिर को समझाते हैं कि युद्ध केवल शारीरिक संघर्ष नहीं है, बल्कि यह मन की स्थिति और नैतिकता से भी जुड़ा है। वे यह भी बताते हैं कि जब व्यक्ति अपने कर्मों के परिणामों का सामना करता है, तब उसे वास्तविक शांति की अनुभूति होती है। संपूर्ण पाठ में यह संदेश है कि शांति की खोज में न केवल बाहरी उपायों की आवश्यकता होती है, बल्कि मन की शांति और नैतिक मूल्यों का पालन भी उतना ही महत्वपूर्ण है। यह संवाद हमें यह भी सिखाता है कि जीवन में संघर्ष और शांति के बीच संतुलन कैसे बनाया जाए।
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