भविष्य महापुराण | Bhavishya Mhapurana

- श्रेणी: दार्शनिक, तत्त्वज्ञान और नीति | Philosophy धार्मिक / Religious साहित्य / Literature
- लेखक: खेमराज श्री कृष्णदास - Khemraj Shri Krishnadas
- पृष्ठ : 925
- साइज: 404 MB
- वर्ष: 1949
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दो शब्द :
इस पाठ में विभिन्न पुराणों और उनके विषयों पर चर्चा की गई है। यह उल्लेख किया गया है कि पुराणों का अध्ययन ज्ञान और संस्कृति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। इसमें कहा गया है कि विभिन्न महापुराण, जैसे कि श्रीमद्भागवत, विष्णुपुराण, और अन्य, मानवता के लिए ज्ञान और धर्म का स्रोत हैं। पाठ में यह भी बताया गया है कि पुराणों में विभिन्न विषयों का विस्तृत वर्णन है, जिसमें धर्म, नीति, संस्कार, और जीवन के विभिन्न पहलुओं का समावेश किया गया है। यह दर्शाया गया है कि पुराणों में न केवल धार्मिक कथाएँ होती हैं, बल्कि इनमें सामाजिक और सांस्कृतिक मूल्य भी निहित होते हैं। इसके अलावा, पाठ में यह भी बताया गया है कि पुराणों के अध्ययन से व्यक्ति को अपने जीवन में दिशा और उद्देश्य प्राप्त होता है। पुराणों में ज्ञान के साथ-साथ भक्ति और साधना के मार्ग भी बताए गए हैं। सारांशतः, यह पाठ पुराणों के महत्व और उनके अध्ययन के लाभों पर प्रकाश डालता है, जो कि मानव जीवन की गहराइयों को समझने और उसमें सुधार लाने में सहायक होते हैं।
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