राजस्थानी सबद कोस (प्रथम खंड ) | Rajasthani Sabad Kosh ( Khand 1 )

- श्रेणी: भारत / India भाषा / Language साहित्य / Literature
- लेखक: सीताराम लालस - Seetaram Lalas
- पृष्ठ : 1072
- साइज: 82 MB
- वर्ष: 1960
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दो शब्द :
छतकत्जा, णा॥षट्णरट, ॥४॥5च्त क्षार 7 (00५ (छ9व-.) यह पाठ राजस्थान के राजस्थानी साहित्य और भाषा के महत्व को उजागर करता है। राजस्थान का साहित्य, जो कि त्याग और बलिदान से भरा हुआ है, प्राचीन गीतों, कवियों और संतों की रचनाओं से समृद्ध है। हालांकि, राजस्थानी साहित्य का उचित मूल्यांकन और प्रचार नहीं हो पाया क्योंकि इस भाषा का कोई व्याकरण या शब्दकोश नहीं था। श्री सीताराम लावठस ने इस कमी को दूर करने के लिए राजस्थानी व्याकरण और अब एक व्यापक शब्दकोश का निर्माण किया है। यह कोश लगभग ३० वर्षों की मेहनत का परिणाम है और इसके पहले खंड का प्रकाशन किया जा रहा है। अब विद्वान राजस्थानी साहित्य का सही मूल्यांकन कर सकेंगे। इस कोश में राजस्थानी शब्दों के अर्थ, व्युत्पत्ति और उदाहरणों को शामिल किया गया है। यह कार्य राजस्थान और भारत सरकार की आर्थिक सहायता से संभव हुआ है। पाठक इस कोश को राजस्थानी साहित्य की एक महत्वपूर्ण सेवा मानते हैं और उम्मीद करते हैं कि यह भविष्य में राजस्थानी भाषा को संविधान में मान्यता दिलाने में सहायक होगा। राजस्थानी भाषा की समृद्धि को दर्शाते हुए, पाठ में यह भी बताया गया है कि स्वतंत्रता के बाद कई विद्वानों ने इस भाषा के प्राचीन गौरव को पुनर्स्थापित करने का प्रयास किया। अंततः, यह कोश राजस्थानी साहित्य की कमी को पूरा करेगा और इसे एक स्वतंत्र और सशक्त भाषा के रूप में स्वीकार करने में मदद करेगा।
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