हिंदी साहित्य का वृहत इतिहास- षोडश भाग | Hindi Sahitya Ka vrihad Itihas - vol. 16

- श्रेणी: इतिहास / History साहित्य / Literature हिंदी / Hindi
- लेखक: कृष्णदेव उपाध्याय - Krishndev upadhyay राहुल सांकृत्यायन - Rahul Sankrityayan
- पृष्ठ : 1028
- साइज: 36 MB
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दो शब्द :
यह पाठ हिंदी साहित्य के बृहद् इतिहास की योजना और इसके महत्व पर केंद्रित है। इसमें बताया गया है कि हिंदी साहित्य का इतिहास 17 भागों में प्रकाशित किया जाएगा, जिसमें साहित्यिक प्रवृत्तियों, आंदोलनों और प्रमुख कवियों तथा लेखकों का समावेश होगा। इस योजना का उद्देश्य हिंदी साहित्य के उदय और विकास का ऐतिहासिक दृष्टिकोण से विवेचन करना है, जो पिछले एक हजार वर्षों में विभिन्न बोलियों में उत्पन्न साहित्य को समाहित करता है। पाठ में यह भी उल्लेख किया गया है कि लोकसाहित्य को इस इतिहास में महत्वपूर्ण स्थान दिया जाएगा। लोककथाएँ, गीत, और अन्य सांस्कृतिक सामग्री सामान्य जनता की भावनाओं और जीवन की सच्चाइयों का प्रतिनिधित्व करती हैं। इसके अलावा, हिंदी भाषा और साहित्य के विकास का अध्ययन अन्य प्रादेशिक भाषाओं के साथ संबंध को समझने के लिए आवश्यक है। नागरी प्रचारिणी सभा ने पिछले 50 वर्षों में हिंदी साहित्य की सामग्री का संग्रह और संपादन किया है, जिससे इस बृहद् इतिहास के निर्माण की जरूरत महसूस हुई। पाठ में विभिन्न भागों के संपादकों का उल्लेख किया गया है, जिनमें से प्रत्येक ने अपने-अपने क्षेत्र में महत्वपूर्ण कार्य किए हैं। अंत में, पाठ में हिंदी साहित्य के इतिहास के निर्माण के लिए आवश्यक पद्धतियों और दृष्टिकोणों का विवरण दिया गया है, जिसमें साहित्यिक, सांस्कृतिक, और समाजशास्त्रीय दृष्टिकोण शामिल हैं। इस प्रकार, यह योजना हिंदी साहित्य के समग्र विकास और उसकी विविधता को उजागर करने का प्रयास कर रही है।
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