व्यावहारिक संस्कृत प्रशिक्षक | Vyavaharik Sanskrit Prashikshak

- श्रेणी: भाषा / Language संस्कृत /sanskrit साहित्य / Literature
- लेखक: डॉ. सच्चिदानन्द पाठक - Dr. Sachchidanand Pathak
- पृष्ठ : 292
- साइज: 27 MB
- वर्ष: 2011
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दो शब्द :
इस पाठ का सारांश इस प्रकार है: पाठ का मुख्य उद्देश्य संस्कृत भाषा को सरल और व्यवहारिक रूप में प्रस्तुत करना है। भारतीय संस्कृति और संस्कृत भाषा की महत्ता को रेखांकित करते हुए, यह बताया गया है कि संस्कृत भाषा केवल एक भाषा नहीं, बल्कि भारतीय चिंतन का माध्यम भी है। पाठ में यह उल्लेख किया गया है कि संस्कृत के अध्ययन से व्यक्ति स्वर्ग और अपवर्ग की प्राप्ति कर सकता है, इसलिए इसका अध्ययन आवश्यक है। उत्तर प्रदेश संस्कृत संस्थान संस्कृत भाषा के प्रचार और प्रसार के लिए विभिन्न कार्यक्रम आयोजित करता है, जिसमें संस्कृत संभाषण शिविर भी शामिल हैं। ये शिविर संस्कृत भाषा के प्रति रुचि रखने वालों को संवाद की कला में दक्षता प्रदान करते हैं। पाठ में बताया गया है कि संस्कृत भाषा सरल और मधुर है, और इसकी शब्दावली अन्य भारतीय भाषाओं में भी देखने को मिलती है। लेखक डॉ. सच्चिदानन्द पाठक ने संस्कृत भाषा के प्रति अपना योगदान दिया है, और डॉ. विजय कर्ण ने इस ग्रंथ में उपयोगी सामग्री को संकलित किया है। पाठ का उद्देश्य विद्यार्थियों को संस्कृत भाषा में दक्ष बनाना है जिससे वे संस्कृत का सही और प्रभावी प्रयोग कर सकें। ग्रंथ में चार प्रमुख भाग हैं: पहले भाग में संभाषण के लिए आवश्यक शब्दावली और वाक्य संरचना का परिचय दिया गया है, दूसरे भाग में अवबोधन की प्रक्रिया, तीसरे भाग में उच्चारण का ज्ञान और चौथे भाग में शब्द निर्माण की प्रक्रिया का वर्णन है। इस प्रकार, यह पाठ संस्कृत भाषा के अध्ययन के लिए एक उपयोगी और व्यावहारिक मार्गदर्शक है।
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