प्राचीन भारतीय अभिलेखों का अध्ययन | Prachin Bhartiya Abhilekho Ka Adhyayn

- श्रेणी: Cultural Studies | सभ्यता और संस्कृति इतिहास / History भारत / India
- लेखक: वासुदेव उपाध्याय - Vasudev Upadhyay
- पृष्ठ : 612
- साइज: 13 MB
- वर्ष: 1961
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दो शब्द :
इस पाठ में "बी फिफैसत" शीर्षक के अंतर्गत प्राचीन भारतीय अभिलेखों के अध्ययन का महत्व और उनकी संरचना का विवरण दिया गया है। लेखक वासुदेव उपाध्याय ने इस विषय पर अपने विचार प्रस्तुत किए हैं, जिसमें उन्होंने बताया है कि अभिलेखों का वैज्ञानिक अध्ययन आवश्यक है ताकि उनके निहित ज्ञान को समझा जा सके। लेखक ने उल्लेख किया है कि अभिलेख भारतीय इतिहास के लिए अमूल्य साधन हैं और इनसे सांस्कृतिक विषयों पर नई जानकारियाँ मिलती हैं। पाठ का उद्देश्य विभिन्न विषयों पर प्रकाश डालना है ताकि पाठक अभिलेखों के महत्व को समझ सकें। ग्रंथ को दो भागों में विभाजित किया गया है। पहले भाग में भूमिका और अभिलेखों का विस्तृत अध्ययन प्रस्तुत किया गया है, जबकि दूसरे भाग में मौर्य काल से लेकर वाराणवी सदी तक के अभिलेखों का संग्रह किया गया है। इसमें विभिन्न राजवंशों के लेखों का चयन किया गया है, ताकि इतिहासकारों को अध्ययन में सुविधा हो। लेखक ने स्पष्ट किया है कि अभिलेखों का अध्ययन न केवल सामाजिक और आर्थिक विषयों पर बल्कि तिथियों और सम्वतों के ज्ञान पर भी महत्वपूर्ण है। अंततः, यह पाठ प्राचीन भारतीय अभिलेखों के अध्ययन के महत्व को उजागर करता है और पाठकों को इस दिशा में गहन विचार करने के लिए प्रेरित करता है।
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