दो शब्द :

इस पाठ में नन्दीसूत्र का महत्व और उसकी विशेषताओं का वर्णन किया गया है। नन्दीसूत्र ज्ञान का एक महत्वपूर्ण ग्रंथ है, जो मोक्ष के पहले अंग को प्रस्तुत करता है। यह ग्रंथ संतों और उपासकों द्वारा नियमित रूप से पढ़ा जाता है और इसके मूल पाठ का अध्ययन किया जाता है। यदि पाठक इस ग्रंथ के भावार्थ को समझते हैं, तो उन्हें इससे बड़ा लाभ हो सकता है। पाठ में यह भी उल्लेख किया गया है कि नन्दीसूत्र में ज्ञान का प्रतिपादन किया गया है, जबकि अन्य सूत्रों में विभिन्न विषयों का संग्रह होता है। इस ग्रंथ का नया संस्करण प्रकाशित किया जा रहा है, ताकि अधिक से अधिक लोग इससे लाभान्वित हो सकें। पाठ में अनुवादक और विवेचक के प्रयासों का भी उल्लेख है, जो नन्दीसूत्र के अनुवाद और विवेचन में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। प्रमुख मुनिश्री पारसकुमारजी का काम सराहनीय बताया गया है, जिन्होंने इस ग्रंथ का अनुवाद और विस्तृत विवेचन किया है। इसके अलावा, पाठ में पिछले संस्करणों के प्रकाशन की जानकारी और पाठकों से अनुरोध किया गया है कि वे अनुवाद में यदि कोई अशुद्धियां पाते हैं, तो उन्हें सूचित करें। अंत में, पाठ में यह बताया गया है कि इस ग्रंथ का मूल्य दर्शाता है कि इसे समाज के लाभ के लिए उचित मूल्य पर उपलब्ध कराया जा रहा है। इस प्रकार, पाठ नन्दीसूत्र की महत्ता, उसके अध्ययन और समाज में इसके प्रसार के प्रयासों का संक्षिप्त विवरण प्रस्तुत करता है।


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