ब्रह्मचर्य - जीवन | Bramcharya - Jeewan

By: विजय बहादुर सिंह - Vijay Bahadur Singh


दो शब्द :

इस पाठ में मानव जीवन के विभिन्न पहलुओं पर चर्चा की गई है, जिसमें ब्रह्मचर्य, स्वास्थ्य, और व्यक्तिगत विकास के लिए आवश्यक नियमों का वर्णन किया गया है। लेखक ने बताया है कि मानव जीवन का उद्देश्य पुरुषार्थ है, और इसके लिए व्यक्ति को स्वास्थ्य और श्रम की आवश्यकता होती है। स्वस्थ व्यक्ति ही समाज और राष्ट्र की सेवा कर सकता है। पाठ में यह भी उल्लेख किया गया है कि समाज में स्वास्थ्य की रक्षा और ब्रह्मचर्य का पालन अत्यंत महत्वपूर्ण है। इसके अभाव में व्यक्ति न केवल व्यक्तिगत स्तर पर असफल होता है, बल्कि समाज भी इस कारण पतन की ओर बढ़ता है। लेखक ने विभिन्न कुरीतियों जैसे बाल विवाह, वृद्ध विवाह और अप्राकृतिक मैथुन के प्रभावों पर प्रकाश डाला है। उन्होंने बताया है कि ये कुरीतियाँ समाज के स्वास्थ्य को प्रभावित करती हैं और व्यक्तिगत विकास में बाधक बनती हैं। इसके अलावा, लेखक ने विभिन्न नियमों की चर्चा की है जो स्वास्थ्य को बनाए रखने और ब्रह्मचर्य का पालन करने में सहायक होते हैं। इनमें पवित्र विचारों का होना, नियमित व्यायाम करना, उपवास का पालन करना और स्वच्छता जैसे महत्वपूर्ण तत्व शामिल हैं। अंत में, पाठ में यह संदेश दिया गया है कि समाज को अपने युवाओं की रक्षा करनी चाहिए और उन्हें सही दिशा में मार्गदर्शन प्रदान करना चाहिए ताकि वे स्वस्थ, शक्तिशाली और समाज के लिए उपयोगी नागरिक बन सकें।


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