आयुर्वेद का इतिहास | Ayurveda ka Itihas

By: कविराज सुरम्चंद्र - Kaviraj Suramchandra
आयुर्वेद का इतिहास | Ayurveda ka Itihas by


दो शब्द :

इस पाठ में आयुर्वेद के इतिहास का विस्तृत वर्णन किया गया है। लेखक कविराज सूरमचन्द्र ने इस ग्रंथ को लिखने के लिए विभिन्न प्राचीन ग्रंथों और विद्वानों का अध्ययन किया है। उन्होंने इस पुस्तक में आयुर्वेद के विकास, उसके प्रमुख ऋषियों और उनके योगदान का उल्लेख किया है। लेखक ने बताया है कि उन्होंने आयुर्वेद के इतिहास को स्पष्ट और सुसंगत रूप में प्रस्तुत करने का प्रयास किया है, जिसमें ऋषियों की विशेषताएँ, उनके कार्यों और चिकित्सा विज्ञान के विकास का क्रम शामिल है। पाठ में ऋषियों जैसे महर्षि ब्रह्मा, दक्ष प्रजापति, धन्वन्तरि और अन्य प्रमुख व्यक्तियों का नाम लिया गया है, जिन्होंने आयुर्वेद के क्षेत्र में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इस ग्रंथ में आयुर्वेद के विभिन्न ग्रंथों का उल्लेख किया गया है, जैसे चरक संहिता और सुश्रुत संहिता, और उनके ऐतिहासिक महत्व को रेखांकित किया गया है। लेखक ने यह भी उल्लेख किया है कि पश्चिमी विचारों के मुकाबले भारतीय आयुर्वेद का ज्ञान और गहराई में अधिक है। पुस्तक में आयुर्वेद की विकास यात्रा को समझाने के लिए विभिन्न अध्यायों में विभाजित किया गया है, जिसमें ऋषियों का वर्णन, औषधियों का विकास, चिकित्सकीय विधियों का उल्लेख और आयुर्वेद के सिद्धांतों का स्पष्टीकरण किया गया है। अंततः, लेखक ने आशा व्यक्त की है कि यह ग्रंथ आयुर्वेद के छात्रों और शोधकर्ताओं के लिए उपयोगी सिद्ध होगा और उन्हें आयुर्वेद के क्षेत्र में गहरी गवेषणा करने की प्रेरणा देगा।


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