घुमक्कड़ शास्त्र | Ghumakkad Shastra

By: राहुल सांकृत्यायन - Rahul Sankrityayan
घुमक्कड़ शास्त्र  | Ghumakkad Shastra by


दो शब्द :

"घुमकड़-शास्त्र" ग्रंथ में लेखक राहुल सांकृत्यायन ने घुमक्कड़ी के महत्व और उसकी आवश्यकताओं पर प्रकाश डाला है। उन्होंने बताया है कि घुमक्कड़ जीवन शैली केवल यात्रा करने का नाम नहीं है, बल्कि यह अनुभवों का संग्रह और जीवन के विभिन्न पहलुओं को समझने का एक तरीका है। वे यह भी कहते हैं कि घुमक्कड़ जीवन से व्यक्ति और समाज को बहुत लाभ होता है और यह जीवन की वास्तविकता को समझने का एक माध्यम है। लेखक ने यह स्पष्ट किया है कि घुमक्कड़ केवल भौतिक यात्रा नहीं करते, बल्कि वे ज्ञान, संस्कृति, और सभ्यता का आदान-प्रदान करते हैं। उन्होंने ऐतिहासिक उदाहरणों का उपयोग करते हुए यह दिखाया कि कैसे घुमक्कड़, जैसे कोलंबस और वास्को-दा-गामा, ने नए क्षेत्रों की खोज की और मानवता को आगे बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। सांकृत्यायन ने यह भी उल्लेख किया है कि घुमक्कड़ी का धर्म न केवल पुरुषों के लिए है, बल्कि महिलाओं के लिए भी समान अवसर प्रदान करता है। उन्होंने यह तर्क दिया कि घुमक्कड़ धर्म को अपनाने वाली जातियाँ अधिक समृद्ध और उन्नत होती हैं, जबकि जो इसे छोड़ देती हैं, वे पीछे रह जाती हैं। इस प्रकार, "घुमकड़-शास्त्र" में लेखक ने घुमक्कड़ी के ऐतिहासिक और सामाजिक महत्व को रेखांकित करते हुए इसे जीवन के लिए आवश्यक और उपयोगी माना है। उन्होंने इस जीवन शैली को अपनाने की प्रेरणा दी है, जो व्यक्ति को न केवल भौतिक रूप से, बल्कि मानसिक और आत्मिक रूप से भी समृद्ध बनाती है।


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