हिंदी -गुजरती कोश | Hindi- Gujarati Kosh

- श्रेणी: भाषा / Language शब्दकोष/ Dictionary साहित्य / Literature
- लेखक: मगनभाई प्रभुदास देसाई - Maganbhai Prbhudas Desai
- पृष्ठ : 631
- साइज: 27 MB
- वर्ष: 1931
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दो शब्द :
इस पाठ में हिंदी और उर्दू भाषाओं के संबंध और उनके विकास पर चर्चा की गई है। महात्मा गांधी ने 1918 में इंदौर के हिंदी साहित्य सम्मेलन में कहा था कि "हिन्दुस्तानी" शब्द का अर्थ केवल उर्दू नहीं है, बल्कि यह हिंदी और उर्दू का एक सुंदर मिश्रण है। वे इसे एक सम्पूर्ण राष्ट्रभाषा मानते हैं, जो उत्तरी भारत के लोग समझ सकते हैं। संविधान में यह उल्लेख किया गया है कि यूनियन की दफतरी भाषा देवनागरी लिपि में हिंदी होगी और यह अन्य भारतीय भाषाओं के साथ समन्वय करेगी। पाठ में यह भी कहा गया है कि हिंदी का विकास करना आवश्यक है ताकि यह भारत की मिलीजुली संस्कृति को दर्शा सके। गुजरात में हिंदी भाषा के प्रचार और उसके महत्व पर भी चर्चा की गई है। लेखक ने यह सुझाव दिया है कि हिंदी को शिक्षा और अन्य क्षेत्रों में स्थान मिलना चाहिए और इसे एक सशक्त भाषा के रूप में स्थापित किया जाना चाहिए। अंत में, कोश निर्माण पर जोर दिया गया है, जिससे हिंदी और गुजराती भाषियों को एक-दूसरे की भाषा को समझने में आसानी हो सके। यह कोश हिंदी की समृद्धि में मदद करेगा और दोनों भाषाओं के बीच पुल का कार्य करेगा। पाठ में यह भी बताया गया है कि भाषा विकास के लिए शिक्षा प्रणाली में सुधार और शिक्षक वर्ग की भूमिका महत्वपूर्ण है।
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