नैषधीयचरितम | Naishdhiyacharitam

- श्रेणी: काव्य / Poetry श्लोका / shlokas साहित्य / Literature
- लेखक: शिवदत्त शर्मा - Shivdutt Sharma
- पृष्ठ : 1080
- साइज: 196 MB
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दो शब्द :
इस पाठ का सारांश इस प्रकार है: यह पाठ "नेषधीयचरित" नामक महाकाव्य के बारे में है, जिसे श्रीमन्नारायण द्वारा रचित बताया गया है। इस काव्य की व्याख्या विभिन्न विद्वानों द्वारा की गई है और इसमें संस्कृत के संदर्भ में महत्वपूर्ण जानकारी प्रस्तुत की गई है। इसमें बताया गया है कि यह काव्य चार पुरुषार्थों - धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष के संबंध में है और शब्द तथा ज्ञान की शक्ति पर आधारित है। काव्य की महत्ता को रेखांकित करते हुए कहा गया है कि यह न केवल साहित्यिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह ज्ञान और व्यवहार में भी अद्वितीय है। इसमें उल्लेखित है कि काव्य का प्रयोग समाज में ज्ञान और संस्कृति के प्रसार के लिए किया जाता है। इसके अलावा, पाठ में विभिन्न विद्वानों के विचारों को भी प्रस्तुत किया गया है, जो इस काव्य की गहराई और विविधता को दर्शाते हैं। इसके अंत में, काव्य के रचनाकार और उनके योगदान का उल्लेख किया गया है, साथ ही यह भी कहा गया है कि यह काव्य भारतीय साहित्य का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, जो विभिन्न विद्याओं और ज्ञान का समागम करता है। इस प्रकार, पाठ नेषधीयचरित के महत्व, इसके रचनाकार और विद्वानों की दृष्टि को समाहित करता है, जो इसे सांस्कृतिक और साहित्यिक दृष्टि से महत्वपूर्ण बनाता है।
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