अम्बेडकरवाद के सन्दर्भ में काशीराम का दलित आंदोलन | Ambedakarvad Ke Sandarbh Main Kashiram Ka Dalit Aandolan

- श्रेणी: Speech and Updesh | भाषण और उपदेश जातिप्रथा / Caste System मानसिक शक्ति/ Mansik Shakti सामाजिक कौशल/social skills
- लेखक: रवि कुमार मिश्र - Ravi Kumar Mishr
- पृष्ठ : 415
- साइज: 43 MB
- वर्ष: 2003
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दो शब्द :
शोध प्रबंध का यह भाग अम्बेडकरवाद और काशीराम के दलित आंदोलन पर केंद्रित है। इसमें डॉ. भीमराव अम्बेडकर के विचारों और दृष्टिकोण का विश्लेषण किया गया है, जो उन्होंने दलित समाज के उत्थान के लिए प्रस्तुत किए। अम्बेडकर ने सामाजिक, धार्मिक, आर्थिक और राजनीतिक संदर्भों में दलितों की समस्याओं का समाधान खोजा और उनके अधिकारों की रक्षा के लिए संघर्ष किया। काशीराम ने भी दलितों के अधिकारों और उनकी सामाजिक स्थिति को सुधारने के लिए सक्रिय भूमिका निभाई। उन्होंने अपने जीवन को दलित समाज के उत्थान के लिए समर्पित किया और इस दिशा में आंदोलन शुरू किया। उनका मानना था कि दलितों को संगठित होना होगा और सामूहिक शक्ति के माध्यम से अपने अधिकारों के लिए संघर्ष करना होगा। शोध प्रबंध में यह भी वर्णित है कि भारतीय समाज में दलितों के प्रति पूर्वाग्रह और भेदभाव अभी भी विद्यमान हैं, जिससे उनकी सामाजिक स्थिति में सुधार मुश्किल हो रहा है। काशीराम का आंदोलन इस सामाजिक संरचना को चुनौती देने का प्रयास था, और उन्होंने दलितों के अधिकारों को स्थापित करने के लिए संगठनात्मक शक्ति पर जोर दिया। अंत में, यह शोध प्रबंध अम्बेडकरवाद और काशीराम के योगदान को एक व्यापक दृष्टिकोण से प्रस्तुत करता है, जो दलित समाज की जागरूकता और उनके अधिकारों की लड़ाई में महत्वपूर्ण है।
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