जल के प्रयोग और चिकित्सा | Jal Ke Prayog Aur Chikitsa

- श्रेणी: Ayurveda | आयुर्वेद रोग / disease विज्ञान / Science
- लेखक: शिवनारायण मिश्र - ShivNarayan Mishr
- पृष्ठ : 92
- साइज: 11 MB
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दो शब्द :
इस पाठ में जल के महत्व और जल-चिकित्सा के लाभों पर चर्चा की गई है। लेखक शिवनारायण मिश्र ने यह बताया है कि जल जीवन का अभिन्न हिस्सा है और इसका सही उपयोग स्वास्थ्य के लिए अत्यंत आवश्यक है। वेदों में जल के गुणों का वर्णन किया गया है और जल को रोगनाशक माना गया है। उन्होंने बताया कि जल का नियमित उपयोग मानव जीवन को स्वस्थ और निरोग रखने में सहायक होता है। लेखक ने जल के बाहरी और आंतरिक उपयोग के तरीके भी बताए हैं, जैसे स्नान, जल पान और विभिन्न जल-चिकित्सा विधियों का महत्त्व। उन्होंने कुछ गलतफहमियों को दूर किया है, जैसे कि ज्वर के दौरान पानी पीने से होने वाले लाभ के बारे में। उनका कहना है कि ज्वर में पानी का सेवन करना आवश्यक है, क्योंकि यह शरीर में पानी की कमी को पूरा करता है और रोग के लक्षणों को कम करने में मदद करता है। इसके अलावा, पाठ में यह भी बताया गया है कि भारत में विभिन्न धार्मों के लोग जल के उपयोग के प्रति अलग-अलग धारणाएँ रखते हैं, जो कि अक्सर गलत हैं। अंत में, लेखक ने जल-चिकित्सा के महत्व को रेखांकित करते हुए इसे निरोग रहने की एक महत्वपूर्ण विधि के रूप में प्रस्तुत किया है। उन्होंने इस पुस्तक को जल के सही उपयोग के प्रति जागरूकता फैलाने के लिए एक महत्वपूर्ण साधन बताया है।
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