महान व्यक्तित्व | Mahan Vyaktitva

By: इरा सक्सेना - Ira Saxena प्रेम सुमन जैन - Prem Suman Jain
महान व्यक्तित्व | Mahan Vyaktitva by


दो शब्द :

लोकमान्य तिलक का जीवन और कार्य भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में उनके योगदान को दर्शाते हैं। उनका जन्म 23 जुलाई 1856 को रत्नागिरी, महाराष्ट्र में हुआ। वे एक रूढ़िवादी परिवार में पले बढ़े, जहां उनके पिता ने उन्हें शिक्षा के प्रति प्रेरित किया। तिलक ने गणित, संस्कृत, इतिहास और ज्योतिष का अध्ययन किया। सोलह वर्ष की उम्र में उनका विवाह हुआ, और उनके माता-पिता का निधन होने के बावजूद, उन्होंने शिक्षा के प्रति अपनी लगन को बनाए रखा। वे पुणे के डेकन कॉलेज में पढ़े, जहां उन्होंने शारीरिक कसरत और वाद-विवाद में भाग लिया, जिससे उनकी बोलने की क्षमता विकसित हुई। तिलक ने शिक्षा को स्वतंत्रता का आधार माना और 1880 में न्यू इंग्लिश स्कूल की स्थापना की, इसके बाद 1885 में डेकन एजुकेशन सोसाइटी की स्थापना की। उन्होंने कई समाचार पत्रों का संपादन किया, जैसे 'केसरी' और 'मराठा', जिनके माध्यम से उन्होंने जनता को जागरूक करने का प्रयास किया। तिलक ने समाज में सुधार लाने के लिए भी कई पहल की, जैसे बाल विवाह के खिलाफ अभियान चलाना और महिलाओं की शिक्षा का समर्थन करना। वे भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में सक्रिय रहे और जनता को जागरूक करने के लिए विभिन्न त्योहारों का इस्तेमाल किया। गणेश चतुर्थी जैसे त्योहारों को राष्ट्रीयता के प्रतीक के रूप में प्रस्तुत किया, जिससे लोगों में स्वतंत्रता की भावना जागी। उन्होंने वीर शिवाजी की जयंती मनाने के लिए भी त्योहारों का आयोजन किया, जिससे लोगों में राष्ट्रीय गर्व और प्रेरणा का संचार हुआ। तिलक का जीवन उनके नैतिक साहस, सच्चाई और चरित्र का प्रतीक है। वे भारतीय समाज को जागरूक करने और स्वतंत्रता संग्राम में शामिल करने के लिए प्रतिबद्ध रहे। उनके विचार और कार्य आज भी प्रेरणादायक हैं।


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