कुंडली चक्र (सामाजिक उपन्यास) | Kundali chakr ( Samajik Upnyas)

- श्रेणी: उपन्यास / Upnyas-Novel साहित्य / Literature
- लेखक: वृन्दावनलाल वर्मा - Vrindavanlal Varma
- पृष्ठ : 223
- साइज: 14 MB
- वर्ष: 1958
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दो शब्द :
"कुण्डली चक्र" उपन्यास का मुख्य पात्र ललितसेन है, जो तीस वर्ष का एक विधुर है और उसने अब तक विवाह नहीं किया है। उसके माता-पिता का निधन बचपन में ही हो गया था और उसकी एक बहन, रत्नकुमारी, है। ललितसेन का दृष्टिकोण विवाह के प्रति नकारात्मक है, क्योंकि वह इसे आवश्यक नहीं मानता। वह दर्शन और इतिहास का प्रेमी है और समाज में जाति-पाती के सिद्धांतों को मानता है, लेकिन निर्बलों की मदद करने में विश्वास नहीं रखता। उपन्यास में ललितसेन की बहन रत्नकुमारी उसे बहुत मानती है और उसकी बातों को ध्यान से सुनती है। रत्नकुमारी शिक्षा की प्राप्ति में रुचि रखती है और अपने भाई के विचारों को सुनकर प्रभावित होती है। एक दिन, ललितसेन की बैठक में एक युवक, अर्जितकुमार, आता है, जो पढ़ाई करके रोजगार की तलाश में है। वह ललितसेन के घर में रत्न को पढ़ाने का प्रस्ताव रखता है। ललितसेन को अर्जितकुमार का धार्मिक विश्वास पसंद नहीं आता, लेकिन वह उसे पढ़ाने की अनुमति देता है। अर्जितकुमार और रत्नकुमारी के बीच बातचीत होती है, जिसमें वे शिक्षा और धर्म के सिद्धांतों पर चर्चा करते हैं। इस तरह, उपन्यास में विचारों का संघर्ष और सामाजिक दृष्टिकोण का चित्रण होता है। ललितसेन अपने सिद्धांतों को लेकर जिद्दी है, जबकि अर्जितकुमार और रत्नकुमारी के विचार भिन्न हैं। उपन्यास में ललितसेन का व्यक्तित्व और उसके सिद्धांतों की आलोचना के साथ-साथ रत्नकुमारी और अर्जितकुमार के बीच का संबंध भी महत्वपूर्ण है।
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