अपने को समझे भाग १ | Apne ko Samjhe part 1

By: शांति चन्द्र मेहता - Shanti Chandra Mehta


दो शब्द :

इस पाठ में जैन श्रमण संस्कृति में साधुमार्गीय हुक्मेश संघ का महत्व बताया गया है। इसे आद्य आचार्य श्री हुक्मीचंद जी मसा ने स्थापित किया था। अनेक प्रभावशाली आचार्य, जैसे श्री श्रीलालजी मसा, ज्योर्तिषर श्रीमद् जवाहराचार्य, और वर्तमान में श्री १००८ श्री नागालाछजी मसा का योगदान इस संघ में महत्वपूर्ण रहा है। आचार्य श्री नानेश ने समता-दर्शन को बढ़ावा दिया और समाज में व्यसनमुक्ति की दिशा में काम किया। पाठ में आचार्य नानेश के प्रवचनों का संग्रह पेश किया गया है, जिसमें आत्मज्ञान की आवश्यकता और भोगवादी संस्कृति से उबरने का संदेश है। प्रवचनों का मूल विषय "अपने को समझें" है, जो मानव को आत्मा के प्रति जागरूक करने का प्रयास करता है। आचार्य ने बताया कि बाहरी भोगों में सुख नहीं है, बल्कि आत्मा के भीतर ही सुख का स्रोत है। आत्मज्ञान के लिए अंतर्मुखी दृष्टि अपनाने की बात की गई है। पुस्तक में १८ प्रवचन शामिल हैं, जो विभिन्न विषयों जैसे आत्मा का प्रेम, सेवा, मानसिक रोग, धर्म और विज्ञान का समन्वय पर केंद्रित हैं। आचार्य द्वारा दिए गए ये प्रवचन आत्मोत्थान और आत्मा के परम विकास के लिए प्रेरित करते हैं। अंत में, यह पाठ पाठकों को आत्म चिंतन और आत्मावलोकन करने की प्रेरणा देता है, ताकि वे अपने जीवन में सकारात्मक परिवर्तन ला सकें।


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