गृह - नक्षत्र | Grih- Nakshatra

- श्रेणी: ग्रह , नक्षत्र / grah nakshtra ज्योतिष / Astrology
- लेखक: श्री जगदानन्द राय - Shri Jagdanand Rai श्री जनार्दन झा - Shri Janardan Jha
- पृष्ठ : 352
- साइज: 117 MB
- वर्ष: 1925
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दो शब्द :
इस पाठ में "ग्रह-नक्षत्र" नामक पुस्तक के लेखक जगदानन्द राय ने ज्योतिष के विषय में विचार प्रस्तुत किए हैं। लेखक ने बचपन की यादों को साझा करते हुए कहा है कि उन्हें ज्योतिष की कहानियाँ सुनने में खुशी होती थी और वे चाहते थे कि बच्चों के लिए इस विषय पर कुछ लिखें। पुस्तक में ग्रहों और नक्षत्रों के बारे में जानकारी दी गई है, जिसमें उनके आकार, गति, और पृथ्वी के साथ संबंध को समझाया गया है। लेखक ने बताया है कि हमारी पृथ्वी अन्य ग्रहों की तरह गोल है और यह बात विभिन्न उदाहरणों के माध्यम से स्पष्ट की गई है। वे बताते हैं कि यदि हम समुद्र में खड़े हों तो दूर के जहाजों को कैसे देखते हैं, और इसी तरह से पृथ्वी की गोलाई का अनुभव भी किया जा सकता है। पृथ्वी का आकार फुटबॉल के समान बताया गया है, और इसके गोल होने का प्रमाण भी विभिन्न दृष्टांतों से समझाया गया है। इसके अलावा, लेखक ने यह भी बताया है कि सूर्य, चाँद, और तारे कैसे पूर्व से पश्चिम की ओर चलते हैं, जबकि वैज्ञानिक दृष्टिकोण से यह बताया गया है कि वास्तव में पृथ्वी अपनी धुरी पर घूम रही है और सूर्य के चारों ओर परिक्रमा कर रही है। कुल मिलाकर, इस पाठ में ज्योतिष और खगोल विज्ञान के आधार पर पृथ्वी, ग्रहों, और नक्षत्रों के बारे में ज्ञानवर्धक जानकारी दी गई है, जिससे बच्चों को इस विषय में रुचि उत्पन्न हो सके।
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